ट्रंप का 25% टैरिफ एक हफ्ते के लिए टला, आखिर अमेरिका भारत से क्या चाहता है? पूरा मामला समझें

ललित यादव

Trump Tariff Postponed: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित कई देशों पर लगाए जाने वाले 25% टैरिफ को एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया है. यह टैरिफ, आज से यानी 1 अगस्त 2025 से लागू होने वाला था.

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Trump Tariff Postponed: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित कई देशों पर लगाए जाने वाले 25% टैरिफ को एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया है. यह टैरिफ, आज से यानी 1 अगस्त 2025 से लागू होने वाला था. अब यह 7 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा. इस फैसले से भारत समेत सभी प्रभावित देशों को कुछ समय के लिए राहत मिली है.

ट्रंप के ऐलान ने मचाई थी हलचल

बुधवार को डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक भारत और अन्य देशों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. ट्रंप का कहना था कि यह कदम व्यापारिक बाधाओं को खत्म करने के लिए उठाया गया है. इसके साथ ही, रूस से तेल और रक्षा उपकरण खरीदने के लिए भारत पर जुर्माना लगाने की बात भी कही गई थी. हालांकि, अब अमेरिका ने नए निर्देश जारी कर टैरिफ को एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया है.

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने इस मामले में संयमित रुख अपनाते हुए जवाबी कार्रवाई करने के बजाय स्पष्ट किया है कि वह देशहित में हर जरूरी कदम उठाएगी. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "भारत अमेरिका के साथ बातचीत की मेज पर इस मुद्दे का जवाब देगा." भारत का मानना है कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए दृढ़ता से खड़ा रहेगा.

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अमेरिका की मांगें क्या हैं?

अमेरिका भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए यह टैरिफ लगा रहा है. वह चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को अमेरिकी उत्पादों के लिए खोले. खास तौर पर, अमेरिका नॉन-वेज मिल्क और जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) फसलों के लिए भारतीय बाजार में पूरी छूट चाहता है. इसके अलावा, वह इन उत्पादों पर लगने वाले टैरिफ को कम करने की मांग कर रहा है. हालांकि, भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को अमेरिकी दबाव में नहीं खोलेगा.

आगे क्या हो सकता है?

टैरिफ को एक हफ्ते के लिए टालने से भारत को बातचीत के लिए कुछ समय जरूर मिला है, लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव कम होने के आसार कम हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर सहमति बनना अभी मुश्किल है. भारत अपनी नीतियों और हितों की रक्षा के लिए दृढ़ है, जबकि अमेरिका अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है.

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