बिहार के युवाओं के लिए खुशखबरी! प्रदेश में 3000 से अधिक असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर होगी सीधी भर्ती
बिहार के विश्वविद्यालयों में खाली पड़े असिस्टेंट प्रोफेसर के 3000 से अधिक पदों पर जल्द भर्ती होने वाली है. इस भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और बैकलॉग खत्म करने के लिए विभाग ने सभी कुलपतियों से रिक्तियों की ताजा सूची मांगी है, जिससे नई अधियाचना जल्द भेजी जा सके.

Bihar Assistant Professor Recruitment: बिहार सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक सुधारों के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली पड़े 3000 से अधिक पदों के लिए जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरू होने वाली है. बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि पूर्व में आयोग ने लगभग 2900 सफल उम्मीदवारों की लिस्ट भेजी थी. इनको विभाग ने पहले ही मंजूरी दे दी है. उन्होंने कहा कि अब बाकी के बचे हुए पदों को भरने की तैयारी है.
शिक्षा मंत्री ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से प्रदेश के कॉलेजों में खाली पड़े पदों की रिपोर्ट मांगी है. विभाग का मुख्य उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि किसी भी सब्जेक्ट में शिक्षकों की कमी न रहे. मंत्री ने साफ कहा है कि जब तक स्थायी नियुक्तियां पूरी नहीं हो जातीं तब तक गेस्ट लेक्चरर्स के जरिए से क्लासों का संचालन किया जाए. उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया में कोई भी अनावश्यक देरी नहीं होनी चाहिए.
आधुनिक तकनीक और स्किल डेवलपमेंट पर फोकस
बिहार के शिक्षा तंत्र को आधुनिक बनाने के लिए सरकार अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसे सब्जेक्टों पर विशेष ध्यान दे रही है. शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालयों से अपील की है कि वे अपने पारंपरिक विषयों के सिलेबस को जरूरतों के हिसाब से संशोधित करें. उन्होंने सामर्थ पोर्टल का जिक्र करते हुए कहा कि शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर इसे कौशल विकास से जोड़ा जाएगा. इससे बिहार के छात्र भविष्य की चुनौतियों के लिए तकनीकी रूप से सक्षम बनेंगे.
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स्कूली शिक्षा में कंप्यूटर और डिजिटल क्रांति
उच्च शिक्षा के साथ-साथ स्कूली स्तर पर भी बुनियादी बदलाव किए जा रहे हैं. सरकारी स्कूलों के छात्रों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने के लिए कक्षा 6 से 8 तक डेस्कटॉप कंप्यूटर और शिक्षकों को टैबलेट प्रदान किए जा रहे हैं. मंत्री का मानना है कि जब छात्र प्राथमिक स्तर से ही कंप्यूटर फ्रेंडली होंगे, तभी वे उच्च शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे. सरकार का लक्ष्य है कि बिहार के सरकारी स्कूलों का स्तर भी निजी शिक्षण संस्थानों के बराबर या उससे बेहतर हो.









