बदल गया Income Tax भरने का नियम, फॉर्म-1 और 4 में क्या बदला, किसे होगा फायदा? जानें सबकुछ

बृजेश उपाध्याय

New ITR Forms 1 and 4 notified: Personal Finance की इस सीरीज में हम आपको इसकी पूरी डिटेल बता रहे हैं. इसमें 2025–26 के लिए ITR-1 और ITR-4 में किए गए प्रमुख बदलावों को समझाया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर: AI
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Income Tax Rules: CBDT (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) ने ITR-1 (सहज) और ITR-4 (सुगम) फॉर्म को नोटिफाई कर दिया है. ये फॉर्म मुख्य रूप से सैलरीड क्लास, पेंशनभोगी, छोटे व्यापारी और फ्रीलांसर के लिए होते हैं. इसमें इस बार कुछ अहम बदलाव शामिल किए गए हैं जो फॉर्म को और ज्यादा पारदर्शी और करदाता फ्रेंडली बनाया गया है. 

फॉर्म-1और 4 फाइनेंशियल ईयर 2024-25 यानी असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए जारी किए गए हैं. नए आईटीआर फॉर्म में अब कैपिटल गेन टैक्‍स को दिखाने का प्रावधान कर दिया गया है. अगर निवेशक लिस्‍टेड इक्विटी शेयर और इक्विटी वाले Mutual Funds की बिक्री से लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन करता है तो टैक्‍स रिटर्न फाइल करने के लिए ITR-1 का का इस्तेमाल कर सकता है.  

Personal Finance की इस सीरीज में हम आपको इसकी पूरी डिटेल बता रहे हैं. इसमें करदाताओं को इन अपडेट को समझने में मदद करने के लिए बिजनेस टुडे से कोहेरेंट एडवाइजर्स में बिजनेस एडवाइजरी के प्रमुख तरुण कुमार ने बात की. उन्होंने 2025–26 के लिए ITR-1 और ITR-4 में किए गए प्रमुख बदलावों को समझाया है. उन्होंने ये भी बताया है कि करदाताओं को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? 

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यहां जानिए अहम बदलाव और इसके फायदे

बदलाव-1

  • अब 1.25 लाख तक के LTCG पर ITR-1/4 से भी भर सकते हैं रिटर्न.
  • अब जिन लोगों को धारा 112A के तहत 1.25 लाख रुपये तक का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) हुआ है, वे भी ITR-1 या ITR-4 भर सकते हैं.
  • पहले ऐसा संभव नहीं था. पूंजीगत लाभ दिखाने के लिए ITR-2 या ITR-3 भरना पड़ता था. 

क्या है LTCG?

एलटीसीजी (Long Term Capital Gains) यानी दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ. यह तब होता है जब आप किसी पूंजीगत संपत्ति जैसे शेयर, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी, सोना को लंबे समय तक रखने के बाद बेंचकर मुनाफा कमाते हैं. 

आसान भाषा में समझें 

यदि आपने शेयर या म्यूचुअल फंड 12 महीने से ज्यादा समय तक रखे और फिर बेचकर लाभ कमाया, तो यह LTCG कहलाएगा. अगर आपने प्रॉपर्टी या जमीन 24 या 36 महीने (संपत्ति के प्रकार पर निर्भर) से ज्यादा समय तक रखी और फिर बेची, तो उससे मिला लाभ भी LTCG होता है. 

ध्यान दें:

धारा 112A उन्हीं स्टॉक्स/म्यूचुअल फंड्स पर लागू होती है जिनपर STT (Securities Transaction Tax) लागू होता है. ये वो छोटा सा टैक्स है जो शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड खरीदते या बेचते वक्त लिया जाता है. यानी अगर आपने ऐसे शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश किया है जिन पर STT लगता है और आपने उन्हें 1 साल या उससे ज्यादा समय बाद बेचा तो तो आपको मिले मुनाफे पर यह टैक्स नियम लागू होगा. 1.25 लाख तक के लाभ पर टैक्स नहीं है लगेगा. इसके ऊपर के लाभ पर 12.5% टैक्स देना होगा. 

बदलाव- 2

  • धारा 112A के टैक्स-फ्री लाभ के लिए नई रिपोर्टिंग जरूरी.
  • अब ITR में एक नया सेक्शन जोड़ा गया है- “ऐसी आय जिस पर टैक्स नहीं देना है”.
  • इसमें आपको टैक्स-फ्री LTCG की विस्तृत जानकारी देनी होगी.
  • कुल बिक्री मूल्य (Sale Consideration).
  • अधिग्रहण लागत (Cost of Acquisition).
  • धारा 112A के अनुसार लाभ.

बदलाव- 3

  • किराये पर घर लेकर रहने वालों को अब फॉर्म 10BA करना होगा ई-फाइल.
  • अगर आप किराए पर रहते हैं और HRA क्लेम नहीं कर रहे, तो धारा 80GG के तहत डिडक्शन ले सकते हैं.
  • अब यह लाभ तभी मिलेगा जब Form 10BA इलेक्ट्रॉनिक रूप से फाइल किया जाए और उसे रिटर्न के साथ जोड़ा जाए.
  • याद रखें, जो लोग नई टैक्स रिजीम (धारा 115BAC) को चुनते हैं, वे 80GG डिडक्शन नहीं ले सकते. 

बदलाव-4

  • अब TDS के सेक्शन की जानकारी भी देनी होगी. 
  • ITR के TDS/TCS शेड्यूल में अब आपको बताना होगा कि TDS किस धारा के तहत कटा है.
  • जैसे डिविडेंड पर TDS: धारा 194. बैंक ब्याज पर TDS: धारा 194A.
  • यह जानकारी आप Form 16A या Form 26AS से ले सकते हैं. 

बदलाव- 5

  • पुरानी और नई टैक्स रिजीम से जुड़ा नया सेक्शन.
  • ITR-4 में अब यह पूछा जाएगा कि क्या आपने पिछले साल (AY 2024-25) Form 10-IEA फाइल किया था?
  • क्या आप नई टैक्स रिजीम से बाहर आना जारी रख रहे हैं या पहली बार ऐसा कर रहे हैं?

अगर आपने पिछले साल ITR-1 या ITR-2 फाइल किया और Form 10-IEA नहीं भरा, तो इस बार (AY 2025-26) नए टैक्स सिस्टम से बाहर आने के लिए Form 10-IEA फाइल करना अनिवार्य होगा. यह विकल्प ITR फाइल करने की अंतिम तारीख (धारा 139(1)) से पहले ही चुनना होगा. 

कौन भर सकेंगे ITR-1 फॉर्म?

  • आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (आंकलन वर्ष 2025-26) के लिए ITR-1 (सहज) फॉर्म से जुड़ी नई पात्रता शर्तें जारी की हैं. यह फॉर्म केवल कुछ चुनिंदा करदाताओं के लिए ही मान्य है, जिनकी आय सीमित और स्रोत साधारण हैं. 
  • ITR-1 का उपयोग वे रेजिडेंट इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स कर सकते हैं. 
  • जिनकी सालाना कुल आय ₹50 लाख से कम है. 
  • जिनकी आय के स्रोत हों.
  • वेतन या पेंशन (Salary/Pension)
  • एक हाउस प्रॉपर्टी से किराया या स्व-उपयोग की इनकम
  • ब्याज, FD या डिविडेंड जैसी अन्य स्रोतों की आय
  • लिस्टेड इक्विटी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड की बिक्री से ₹1.25 लाख तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG)
  • ₹5,000 तक की कृषि आय
  • यह बदलाव खासतौर पर छोटे निवेशकों और वेतनभोगियों के लिए राहत लाता है, क्योंकि अब उन्हें सरल फॉर्म से ही रिटर्न भरने की सुविधा मिलेगी. 

ITR-1 फॉर्म कौन नहीं भर सकता?

  • जिनके पास हाउस प्रॉपर्टी की बिक्री से आय है. 
  • जिनके पास शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) है, जैसे लिस्टेड इक्विटी या म्यूचुअल फंड्स की कम समय में बिक्री. 
  • जो किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं.
  • जिन्होंने किसी अनलिस्टेड कंपनी के शेयरों में निवेश किया है.
  • जिनका TDS धारा 194AN (Aadhaar-पेमेंट पर TDS) के तहत कटा है.
  • जिन पर ESOP (कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना) पर टैक्स स्थगित किया गया है.
  • जिनके पास विदेश में कोई संपत्ति या बैंक अकाउंट है. 

ITR-4 फॉर्म कौन भर सकता है ?

  • ITR-4 उन करदाताओं के लिए है.
  • जिनकी सालाना कुल आय ₹50 लाख तक है.
  • जिनकी आय के स्रोत हों.
  • बिजनेस इनकम (Section 44AD).
  • प्रोफेशनल इनकम (Section 44ADA).
  • गाड़ी चलाने या ट्रांसपोर्ट बिजनेस जैसी इनकम (Section 44AE).
  • जो रेजिडेंट इंडिविजुअल, Hindu Undivided Family (HUF) या Partnership Firm (LLP को छोड़कर) हों.
  • जिनके पास Section 112A के तहत ₹1.25 लाख तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हो, जैसे कि लिस्टेड इक्विटी या इक्विटी म्यूचुअल फंड की बिक्री से.
  • यह फॉर्म प्रिज़म्पटिव इनकम स्कीम को अपनाने वालों के लिए सबसे उपयुक्त है, जिससे टैक्स कैलकुलेशन और फाइलिंग बेहद आसान हो जाती है.

ITR-4 फॉर्म कौन नहीं भर सकता?

  • निम्नलिखित टैक्सपेयर्स ITR-4 का इस्तेमाल नहीं कर सकते.
  • जिनकी कुल आय ₹50 लाख से अधिक है.
  • जिनके पास अधिक जटिल बिजनेस इनकम है, जो प्रिज़म्पटिव स्कीम के तहत नहीं आती.
  • जिनके पास विदेशी संपत्ति, विदेशी बैंक अकाउंट या विदेशी आय है.
  • जो किसी अनलिस्टेड कंपनी के शेयरहोल्डर हैं.
  • जो किसी कंपनी के डायरेक्टर हैं.
  • जिन पर ESOP टैक्स स्थगन, सेक्शन 194AN के तहत TDS, या सेक्शन 115BAC (नया टैक्स सिस्टम) से जुड़ी जटिलताएं लागू हैं और उन्होंने फॉर्म 10-IEA दायर नहीं किया है.
  • जो LLP (Limited Liability Partnership) के रूप में कार्यरत हैं-LLP को ITR-4 भरने की अनुमति नहीं है.

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