वैभव सूर्यवंशी को उनके माता-पिता ने कैसे बनाया स्टार क्रिकेटर? इस फॉर्मूले पर चलना सबके बस की बात नहीं!
क्रिकेट जगत में धूम मचाने वाले 14 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने अपने संघर्ष की कहानी खुद सुनाई, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उनकी मां सिर्फ 3 घंटे सोती थीं. पिता ने उनका क्रिकेट के ड्रीम को पूरा करने के लिए अपना काम छोड़ दिया था. पिता और परिवार ने कम पैसों में घर चलाया, लेकिन वैभव के क्रिकेटर बनने के सपने को जीवित रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
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Vaibhav Suryavanshi story: क्रिकेट जगत में धूम मचाने वाले 14 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने अपने संघर्ष की कहानी खुद सुनाई, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उनकी मां सिर्फ 3 घंटे सोती थीं. पिता ने उनका क्रिकेट के ड्रीम को पूरा करने के लिए अपना काम छोड़ दिया था. पिता और परिवार ने कम पैसों में घर चलाया, लेकिन वैभव के क्रिकेटर बनने के सपने को जीवित रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
जब कोई मां हर रात बस 3 घंटे सोती है और पिता अपनी नौकरी छोड़ देता है, तो समझ लीजिए कि वहां सिर्फ एक बच्चे का नहीं, पूरे परिवार का सपना सांस ले रहा है. बिहार के समस्तीपुर जिले के छोटे से गांव मोतीपुर के वैभव सूर्यवंशी की कहानी भी ऐसी ही है- संघर्ष, समर्पण और सपनों के आसमान तक पहुंचने का एक जज्बा.
बल्ला थामते ही बदल गई किस्मत
27 मार्च 2011 को ताजपुर, बिहार में जन्मे वैभव ने महज चार साल की उम्र में क्रिकेट बैट थाम लिया था. शुरुआती ट्रेनिंग उनके पिता संजीव सूर्यवंशी ने दी, जो खुद क्रिकेटर बनने का सपना देखा करते थे. बेटे में वही अधूरा सपना पूरा होता दिखा, तो उन्होंने अपने खेत-खलिहान को भी संकोच नहीं किया. बेहतर ट्रेनिंग के लिए नौ साल की उम्र में समस्तीपुर की एक अकादमी में दाखिला दिलवाया गया.
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संघर्ष की राह पर एक छोटा सा योद्धा
वैभव की कहानी सिर्फ चौकों-छक्कों की नहीं है, ये तपस्या की कहानी है. रोज सुबह 4 बजे उठकर मां खाना बनातीं, फिर बेटे के साथ 100 किलोमीटर का सफर तय होता- पटना में कोचिंग के लिए. पिता ने खेत बेच दिए, खुद की नौकरी छोड़ दी और घर का जिम्मा बड़े भाई पर आ गया. बस एक ही मिशन था- वैभव को क्रिकेट की ऊंचाइयों तक पहुंचाना.
रिकॉर्ड्स जो उम्र से आगे निकले
12 साल की उम्र में बिहार की अंडर-19 टीम से वीनू मांकड़ ट्रॉफी खेली.
12 साल 284 दिन में रणजी ट्रॉफी डेब्यू किया- बिहार के सबसे युवा खिलाड़ी बने.
13 साल में भारत के सबसे युवा टी20 और लिस्ट-ए क्रिकेटर बने.
भारत अंडर-19 टीम के लिए 58 गेंदों में सबसे तेज टेस्ट शतक ठोका.
आईपीएल: सपना जो हकीकत बना
नवंबर 2024 में राजस्थान रॉयल्स ने 13 साल 8 महीने के वैभव को ₹1.10 करोड़ में खरीदा, आईपीएल इतिहास का सबसे कम उम्र का खिलाड़ी बनाते हुए. 19 अप्रैल 2025 को डेब्यू करते ही पहली गेंद पर छक्का लगाया. और फिर आया 28 अप्रैल 2025- गुजरात टाइटन्स के खिलाफ 35 गेंदों में तूफानी शतक जमाकर इतिहास रच दिया. इस इनिंग में 11 छक्के, 7 चौके. आईपीएल में सबसे तेज भारतीय शतक. पुरुष टी20 क्रिकेट में सबसे कम उम्र का शतकवीर.
विवाद भी आए, पर इरादे नहीं डगमगाए
जैसे-जैसे वैभव का सितारा चमका, उनकी उम्र को लेकर सवाल भी उठने लगे. एक पुराने इंटरव्यू में कही उम्र से मेल ना खाने पर चर्चाएं हुईं, लेकिन परिवार और कोच ने साफ कहा- वैभव ने BCCI का बोन-एज टेस्ट पास किया है, जरूरत पड़ी तो फिर कराएंगे. वैभव की कामयाबी का असली श्रेय उनके माता-पिता और पूरे परिवार को जाता है. पिता संजीव का सपना, मां का समर्पण, भाई का सहयोग और गांववालों की दुआएं- सबने मिलकर वैभव को वो पंख दिए, जिससे वो आज आसमान छू रहे हैं.
वैभव की जुबानी संघर्ष की कहानी
IPL T20 से बातचीत में वैभव ने कहा: "मैं जो भी हूं, अपने मम्मी-पापा की वजह से हूं. मां रोज 2 बजे उठती थीं, 3 घंटे सोती थीं, पापा ने नौकरी छोड़ दी थी. भगवान देखता है, जो मेहनत करता है, उसे कभी असफलता नहीं मिलती." उन्होंने बताया कि राजस्थान रॉयल्स के ट्रायल में भी कैसे उन्होंने अपना प्रभाव छोड़ा और राहुल द्रविड़ जैसे लीजेंड से बात कर पाने का सपना सच होते देखा.
सीनियर खिलाड़ियों का भरोसा बना ताकत
वैभव बताते हैं कि टीम के सीनियर्स जैसे संजू सैमसन, यशस्वी जायसवाल और रियान पराग जैसे खिलाड़ी उन्हें गाइड करते हैं, पॉजिटिव बातें करते हैं और उनका आत्मविश्वास बढ़ाते हैं. इसलिए मैदान पर नर्वसनेस नहीं होती, सिर्फ खेल पर फोकस रहता है.
पहली गेंद पर छक्का मारना नॉर्मल!
वैभव हंसते हुए बताते हैं कि पहली बॉल पर छक्का मारना उनके लिए 'नॉर्मल' है. क्योंकि अंडर-19 इंडिया और डोमेस्टिक क्रिकेट में वह ऐसा पहले भी कर चुके हैं. "अगर गेंद मेरे रडार में आती है तो मैं मारता हूं. सोचता ज्यादा नहीं, बस खेलता हूं." 35 गेंदों पर शतक जड़ने वाले वैभव ने अपनी पारी में 11 छक्के लगाए और 7 चौके जड़े. वो प्लेयर ऑफ द मैच भी रहे. मैच के बाद उन्होंने कहा- बहुत अच्छा लग रहा है. यह आईपीएल में मेरा पहला शतक है और मेरी तीसरी पारी थी. टूर्नामेंट से पहले जो प्रैक्टिस की थी, उसका अब अच्छा नतीजा मिल रहा है.
यशस्वी जायसवाल के साथ बैटिंग करना अच्छा लगता है, वह मुझे समझाते हैं कि क्या करना है और हमेशा पॉजिटिव बात करते हैं. आईपीएल में शतक बनाना मेरा सपना था और आज वह पूरा हो गया. मुझे कोई डर नहीं लगता. मैं ज्यादा नहीं सोचता, सिर्फ खेल पर ध्यान देता हूं.