epfo money withdraw : PF का पैसा निकालने की मजबूरी है तो जान लें EPFO के ये नियम, घर बैठे अकाउंट में आएंगे पैसे
epfo money withdraw : हरिहरन अपने बेसिक और डीए को मिलाकर पीएफ में हर महीने 12 फीसदी का कंट्रीब्यूशन करते हैं. उन्हें अचानक पैसों की जरूरत पड़ गई है. वे पीएफ के पैसे निकालकर अपनी जरूरत पूरी करना चाहते हैं.
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EPFO News: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees' Provident Fund Organisation) निजी और गवर्नमेंट सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने का काम करता है. इसमें कर्मचारी के रिटायरमेंट तक एक बड़ा फंड तैयार करना, उसके लिए पेंशन और बिना प्रीमियम लिए जीवन बीमा की सुरक्षा भी देता है. कर्मचारी को अपनी बेसिक+DA का 12 फीसदी प्रॉविडेंट फंड में हर महीने जमा करना पड़ता है. इसमें नियोक्ता भी 12 फीसदी का योगदान करता है, लेकिन उसमें पेंशन वाले हिस्से के लिए बेसिक+ DA की लिमिट 15,000 रुपए महीने होती है.
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हरिहरन अपने बेसिक और डीए को मिलाकर पीएफ में हर महीने 12 फीसदी का कंट्रीब्यूशन करते हैं. उन्हें अचानक पैसों की जरूरत पड़ गई है. वे पीएफ के पैसे निकालकर अपनी जरूरत पूरी करना चाहते हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि पैसे कैसे निकालें. Personal Finance की इस सीरीज में हम पीएफ के पैसे निकालने के लिए नियम बता रहे हैं. यदि आप EPFO की वेबसाइट पर जाकर बताए गए नियमों को फॉलो करते हुए पैसे निकालने का सही कारण बताएंगे तभी आपका क्लेम पास होगा नहीं तो रिजेक्ट हो जाएगा. ऐसे में आप कई दिनों तक परेशान हो सकते हैं.
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ये है EPFO से पैसे निकालने के नियम और शर्तें
आंशिक निकासी
विशेष परिस्थितियों में, जैसे शादी, शिक्षा, चिकित्सा आपातकाल, घर खरीदना या बनाना जैसे कामों के लिए सदस्य आंशिक निकासी के लिए पात्र हैं. इन स्थितियों में निकासी की पात्रता और राशि के लिए विशेष शर्तें लागू होती हैं.
EPF आंशिक निकासी के नियम
- EPFO ने कुछ विशेष परिस्थितियों में आंशिक निकासी की अनुमति दी है.
- शादी (खुद का, भाई-बहन, बच्चे की) 7 साल EPF में पूरा होने पर मूल वेतन + DA का 50% निकाला जा सकता है.
- बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए 7 साल EPF में पूरा होने पर मूल वेतन + DA का 50% निकाला जा सकता है.
- होम लोन चुकाने के लिए 10 साल की सदस्यता जरूरी है. EPF में जमा राशि का 90% निकाला जा सकता है.
- घर खरीदने या बनाने के लिए 5 साल की सदस्यता जरूरी है. EPF में जमा राशि का 90% निकाला जा सकता है.
- मेडिकल इमरजेंसी (स्वयं/परिवार के लिए) किसी भी समय कर्मचारी के मूल वेतन + DA का 6 गुना या कुल EPF राशि का न्यूनतम 100% निकाल सकता है.
EPF पूर्ण निकासी
सदस्य 58 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर या 2 महीने तक बेरोजगार रहने पर भविष्य निधि की पूरी राशि निकाल सकते हैं.
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पूर्ण निकासी के नियम
- बेरोजगारी (नौकरी छोड़ने पर) 2 महीने तक नौकरी न हो तो पहले 75%, फिर 25% यानी कुल राशि निकाली जा सकती है.
- रिटायरमेंट पर 58 साल की उम्र के बाद पूरा बैलेंस निकाल सकते हैं.
- कर्मचारी की डेथ पर उसका नॉमिनी पूरा पैसा निकाल सकता है.
EPF निकासी से जुड़ी अन्य बातें
- सेवा से त्यागपत्र देने के बाद सदस्य को भविष्य निधि की राशि निकालने के लिए 2 महीने का इंतजार करना पड़ता है.
टैक्स के नियम
- यदि सदस्य ने 5 या उससे अधिक वर्षों तक निरंतर सेवा की है, तो निकासी राशि पर कोई आयकर नहीं लगता.
- यदि किसी सदस्य की सेवा 5 साल से कम है और उसकी संचित राशि 50,000 रुपए से ज्यादा है. यदि कर्मचारी 15G/15H फॉर्म जमा करता है तो कोई टीडीएस नहीं कटेगा.
- फॉर्म जमा नहीं करने पर 10 फीसदी टीडीएस देय होगा. टीडीएस अधिकतम 34.60 फीसदी काटा जा सकता है.
ऐसे निकाल सकते हैं PF का पैसा
- सबसे पहले EPFO की UAN पोर्टल (https://unifiedportal-mem.epfindia.gov.in) पर लॉगिन करें.
- "Online Services" सेक्शन में जाएं और "Claim (Form-31, 19, 10C & 10D)" चुनें.
- बैंक अकाउंट वेरीफाई करें और निकासी का कारण चुनें.
- फॉर्म भरें और आधार OTP से वेरीफाई करें.
- पैसा 7-10 दिनों में बैंक खाते में आ जाएगा.
EPF निकासी के फायदे और नुकसान
फायदे:
✔ टैक्स-फ्री निकासी (अगर 5 साल बाद निकाला जाए)
✔ इमरजेंसी फंड के लिए काम आता है.
✔ रिटायरमेंट के लिए सुरक्षित फंड.
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नुकसान:
✖ 5 साल से पहले निकासी करने पर टैक्स कटेगा.
✖ ब्याज का फायदा खत्म हो जाएगा.
✖ रिटायरमेंट की सेविंग कम हो जाएगी.
निष्कर्ष:
- EPF निकासी सही तरीके से कैसे करें?
- अगर मुमकिन हो तो 5 साल से पहले EPF न निकालें, वरना टैक्स देना पड़ेगा.
- अगर जरूरत पड़े, तो आंशिक निकासी का विकल्प चुनें, ताकि ब्याज का लाभ बना रहे.
- नौकरी छोड़ने के बाद तुरंत EPF निकालने की बजाय, अगले जॉब में इसे ट्रांसफर करें.
- अगर टैक्स बचाना चाहते हैं तो फॉर्म 15G/15H भरकर TDS कटने से बच सकते हैं.
बेस्ट स्ट्रेटेजी:
- EPF को रिटायरमेंट फंड के रूप में रखें और सिर्फ इमरजेंसी में आंशिक निकासी करें. पूरी निकासी तभी करें जब नौकरी पूरी तरह छोड़ दें या रिटायरमेंट के करीब हों.
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