राहुल गांधी ने कन्हैया कुमार के साथ मिलकर बिहार के लिए बनाया बड़ा प्लान

विजय विद्रोही

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Bihar Vidhansabha Chunav 2025: कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों लगातार बैठकों और विचार-विमर्श में व्यस्त हैं. पार्टी में संगठनात्मक मजबूती और आगामी चुनावी रणनीति पर गहन मंथन चल रहा है. राहुल गांधी का मुख्य फोकस उन छुपे स्लीपर सेल्स पर है, जो कांग्रेस के भीतर रहकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष में काम कर रहे हैं. हालांकि, अब तक ऐसा कोई ठोस नाम सामने नहीं आया है जिसे पार्टी से निकाला गया हो या कारण बताओ नोटिस भेजा गया हो.

बिहार कांग्रेस में बड़ा बदलाव संभव?

कांग्रेस ने अब अपनी रणनीति का केंद्र बिहार को बनाया है. राज्य के 35 बड़े नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है, जहां नई टीम और नेतृत्व को लेकर चर्चाएं हो रही हैं. बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह को लेकर भी पार्टी के भीतर असंतोष है. कुछ लोग हैं जो नहीं चाहते कि वह प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहे उनको हटाए जाने की भी पार्टी के अंदर खाने मांग होती रही है. नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरु बदलाव के पक्षधर माने जा रहे हैं, लेकिन सूत्राें के अनुसार केसी वेणुगोपाल ऐसा नहीं होने देते और उनकी ढाल बन जाते हैं.

गठबंधन और सीटों का गणित

बिहार में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं है. पिछली बार 70 सीटें मिलने के बावजूद इस बार सीटों की संख्या घटने की आशंका है. पार्टी को यह तय करना होगा कि वह कितनी सीटों पर समझौता कर सकती है और गठबंधन में कितनी मजबूती से खड़ी रह सकती है.

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कन्हैया कुमार की परीक्षा

कन्हैया कुमार 16 मार्च से ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा" अभियान शुरू करने जा रहे हैं. यह यात्रा बिहार की राजनीति में उनकी पकड़ मजबूत करने का एक प्रयास है. कन्हैया के सामने यह बहुत बड़ी अग्नि परीक्षा है. उन्हें अपने राजनीतिक वजूद को बचाने के लिए एक स्पार्क दिखाने की जरूरत है और अपने आप को प्रतिष्ठित करने की जरूरत है.

यह यात्रा उनको एक अच्छा मौका दे सकती है. बता दें कि यात्राओं ने हमेशा ही नेताओं के कद को राजनीतिक कद को ऊंचा किया है चाहे राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' रही हो, चंद्रशेखर की 'युवा तुर्क यात्रा' रही हो या फिर लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा ही रही हो. वही, इससे पहले तेजस्वी यादव ने भी एक यात्रा की थी, जिसमें उन्होंने बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बनाया था. उन्हें चुनाव में इसका लाभ भी मिला था.

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कांग्रेस को चाहिए निर्णायक नेतृत्व

राहुल गांधी से कांग्रेस कार्यकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि वे ठोस नतीजे सामने लाएं. पार्टी में उन नेताओं की जवाबदेही तय होनी चाहिए जो जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे हैं और उनका रिप्लेसमेंट भी होना चाहिए . बीजेपी में ऐसा होता रहा है. उन्हाेंने अपने पुराने और अनुभवी मुख्यमंत्री जैसी वसुंधरा राजे, रमन सिंह और शिवराज सिंह को एक झटके में हटाकर नए चेहरों को मौका दिया. क्या राहुल गांधी भी इतना साहस जुटा पाएंगे? कांग्रेस के भविष्य के लिए यह बड़ा सवाल बना हुआ है.

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