Fact check: बिहार में महिला की वोटर ID में CM नीतीश कुमार की फोटो, जानें क्या है इस पूरे मामले का सच
मधेपुरा की एक महिला के वोटर आईडी कार्ड पर गलती से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की फोटो छप गई, जिससे प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है. जांच में सामने आया कि यह तकनीकी गलती है, साजिश नहीं, और सुधार की प्रक्रिया जारी है.
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बिहार के मधेपुरा से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने ना सिर्फ स्थानीय लोगों को चौंका दिया बल्कि पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया. सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर एक महिला के वोटर आईडी कार्ड की तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें महिला की जगह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की फोटो लगी हुई है.
अब सवाल ये उठता है क्या यह सच में किसी तकनीकी गलती का मामला है या इसके पीछे कुछ और कहानी छुपी है? चलिए, इस पूरे मामले की पड़ताल करते हैं.
क्या है पूरा मामला?
इस मामले की पड़ताल करते हुए बिहार तक मधेपुरा शहर के जयपाल पट्टी मोहल्ला निवासी चंदन कुमार से बात की. चंदन ने हमारे सहयोगी बिहार तक के सामने अपनी पत्नी अभिलाषा कुमारी का वोटर आईडी कार्ड दिखाया, जिसमें उनके नाम के साथ तस्वीर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लगी हुई थी.
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चंदन कुमार के मुताबिक, उन्होंने कुछ महीनों पहले अपनी पत्नी के पुराने वोटर कार्ड में पता गलत होने के कारण ऑनलाइन सुधार के लिए आवेदन किया था. जिसके बाद लगभग 2-3 महीने पहले पोस्ट ऑफिस के जरिये से उन्हें नया वोटर कार्ड मिला. जब चंदन ने लिफाफा खोला तो सब कुछ सामान्य लगा नाम, पता और बाकी जानकारी सही थी. लेकिन फोटो देखकर उनके होश उड़ गए. फोटो किसी और की नहीं, बल्कि खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की थी.
क्या वोटर आईडी कार्ड ऑथेंटिक है?
हां, न्यूज तक ने अभिलाशा के वोटर आई नंबर की eci.gov.in पर जांच की. जिससे ये तो साफ हो गया कि ये वोटर आईडी कार्ड असली है और इसमें किसी भी तरह का फ्रॉर्ड नहीं किया गया है. इस वेबसाइड के अनुसार की उम्र 30 साल है और वो बिहार के मधेपुरा की रहने वाली है.

तो फिर किसकी है ये चूक?
इस अजीबोगरीब गलती के बाद महिला और उनके पति ने इसे चुनाव आयोग की गंभीर लापरवाही बताया. चंदन कुमार का कहना है कि यह या तो तकनीकी चूक है, या फिर वोटर कार्ड बनाने वाली एजेंसी या कर्मचारी की लापरवाही. उन्होंने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।. वहीं, कुछ स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया यूजर्स ने इस पर सवाल उठाते हुए इसे एक सोची-समझी चाल तक बताया, खासकर चुनावी माहौल को देखते हुए.
चुनाव आयोग का क्या कहना है?
इस मामले को लेकर अभी तक चुनाव आयोग की तरफ से कोई भी आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. हालांकि, स्थानीय अधिकारियों ने इस गलती को स्वीकारते हुए सुधार करने का आश्वासन दिया है. महिला के पति के अनुसार, जब वे सुधार के लिए संबंधित कार्यालय गए, तो उन्हें कहा गया कि "आप चिंता मत कीजिए, फोटो बदल दी जाएगी, किसी और से शिकायत मत कीजिएगा."
क्या यह पहली बार हुआ है?
नहीं. इससे पहले भी कई बार देशभर में वोटर आईडी, आधार कार्ड या अन्य सरकारी दस्तावेज़ों में ऐसी फोटो या जानकारी की गड़बड़ियां सामने आती रही हैं. कहीं इंसान की जगह जानवर की फोटो, तो कहीं नाम और फोटो का मेल नहीं. ऐसे मामलों में ज्यादातर गलती डेटा एंट्री या कार्ड प्रिंटिंग के दौरान होती है, जिसमें संबंधित कर्मचारी या एजेंसी की लापरवाही सामने आती है.
इनपुट- मुरारी सिंह