राजस्थान के सरकारी स्कूल बन चुके हैं मौत के कुएं, 2710 इमारतें मरम्मत के इंतजार में, चौंकाने वाली है नई रिपोर्ट
राजस्थान में 2710 सरकारी स्कूल इमारतें खस्ताहाल हालत में हैं, लेकिन उनकी मरम्मत के लिए जरूरी 254 करोड़ रुपये की राशि अब तक मंजूरी की राह देख रही है. झालावाड़ में छत गिरने से सात बच्चों की मौत ने सरकारी लापरवाही और तंत्र की सुस्ती की पोल खोल दी है.
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Rajasthan Government School Condition: राजस्थान के झालावाड़ में हाल ही में सरकारी स्कूल की छत गिर गई थी. इस घटना में सात मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हुई. इस हादसे ने न केवल विक्टिम के परिवारों को बल्कि पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है.
अब राजस्थान के सरकारी स्कूलों की हालत को लेकर शिक्षा विभाग की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसने सरकारी स्कूलों की बदहाली और प्रशासनिक लापरवाही पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
2,700 से ज्यादा स्कूल की बिल्डिंग हैं खतरे में
शिक्षा विभाग ने हालिया रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में वर्तमान में कुल 2,710 स्कूल भवन ऐसे हैं जिन्हें तुरंत मरम्मत की जरूरत है. इसके लिए लगभग 254 करोड़ रुपये की राशि तय की गई है, हालांकि इस बजट को अभी वित्त विभाग से मंजूरी नहीं मिली है.
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इसी रिपोर्ट के अनुसार साल 2024-25 के लिए 710 स्कूलों के लिए 79.24 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जबकि इस वित्तीय वर्ष में 2,000 और स्कूल इमारतों को असुरक्षित मानते हुए 174.97 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है. मगर इन दोनों ही रकमों पर वित्त विभाग की हरी झंडी नहीं मिली, जिससे मरम्मत का काम शुरू नहीं हो पाया.
झालावाड़ हादसे ने खोली आंखें
हाल ही में झालावाड़ के पिपलोदी गांव में स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई और 28 बच्चे घायल हो गए. यह हादसा ऐसे वक्त हुआ जब बच्चे सुबह की प्रार्थना में शामिल हो रहे थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस हादसे से पहले ही झालावाड़ जिले की 83 स्कूल इमारतों को खतरनाक घोषित किया जा चुका था, लेकिन इसपर किसी भी तरह की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.
लोगों में गुस्सा, प्रशासन पर गंभीर आरोप
इस हादसे के बाद जिले के स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. आरोप है कि स्कूल की इमारत गिरने के बाद सबूत को मिटाने के लिए इमारत के ढांचे तो हटाने में जल्दबाजी की गई थी. कांग्रेस नेता प्रमोद जैन भाया ने कहा कि प्रशासन ने ढांचे को हटाने में इतनी जल्दी क्यों दिखाई? यह जांच को प्रभावित कर सकता है.
वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह सिंघवी ने भी राजस्थान के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था की धीमी प्रक्रिया को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि अफसर सिर्फ फाइलों पर 'चर्चा जारी है' लिखकर छोड़ देते हैं, जिससे जरूरी फैसले लटक जाते हैं.
मंत्री को चिट्ठी लेकिन नहीं कोई जवाब
सिंघवी ने बताया कि उन्होंने 16 जुलाई को राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिखा और स्कूलों की खस्ताहाल इमारतों की जानकारी दी थी, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है.
सरकार से सवाल
इस रिपोर्ट के सामने आते ही सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि आखिरकार कब तक बच्चों की जान लेने के बाद ही सरकार जागेगी? क्यों जरूरी फंड मंजूर करने में देरी हो रही है? और क्या इतनी बड़ी संख्या में खतरनाक स्कूल भवनों के बीच पढ़ाई कर रहे लाखों बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा?