Corona को लेकर तबलीगी जमात पर लगा था बड़ा कलंक, हाईकोर्ट ने दे दी क्लीन चिट
दिल्ली हाईकोर्ट ने तबलीगी जमात पर कोविड फैलाने के सभी आरोपों को खारिज किया. 5 साल बाद 70 लोगों पर लगी FIR रद्द, बड़ी राहत मिली.
ADVERTISEMENT

इस देश में किसी पर कोई केस लगे और 2-4-5 साल में केस खत्म हो जाए, ये किसी चमत्कार से कम नहीं होता. तबलीगी जमात के लोग जिस कारण, जिस विवाद में फंसे थे, उसके पीछे लीगल केस नहीं था. राजनीति और धर्म का भी एंगल शामिल था. फिर भी 5 साल के अंदर तबलीगी जमात को बड़ी राहत मिली है. सैंकड़ों लोगों की मौत का जो दाग लगा था वो भी धुल गया. कोरोना फैलाने के आरोपों से बरी हो गया तबलीगी जमात.
क्या है तबलीगी जमात
तबलीगी जमात सुन्नी मुसलमानों का धार्मिक संगठन है जो अल्लाह के संदेश का प्रचार-प्रसार करता है. जमात यानी लोगों का समूह. उनके मिलने-बैठने और बातें करने की जगह को मरकज कहा जाता है. कुल मिलाकर ये संगठन इस्लाम के लिए काम करने वाला है.
तबलीगी जमात भारत समेत दुनिया के कई देशों में सक्रिय है. तबलीगी जमात के ऐसे मरकज होते रहे, लेकिन जितना बड़ा विवाद और कलंक दिल्ली की मरकज को लेकर लगा वैसा कभी नहीं हुआ.
150 देशों तक पहुंचा तबलीगी जमात?
तबलीगी पर लगे आरोपों के सेंटर में आ गए मोहम्मद साद जो 2015 से तबलीगी के प्रमुख हैं. तबलीगी जमात 1926 में मेवात में देवबंदी इस्लामी विद्वान मोहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने की थी. मकसद था सच्चे इस्लाम को पुनर्जीवित करना. ये बताना कि मुसलमान सच्चे इस्लाम के रास्ते पर नहीं चल रहे हैं. सच्चे इस्लाम का रास्ता दिखाने के लिए काम करता है तबलीगी जमात. तबलीगी की ये मैसेज पूरी दुनिया में फैला. इसी से तबलीगी करीब 150 देशों तक पहुंचा.
यह भी पढ़ें...
संगठन पर कैसे लगा कलंक?
दिल्ली के निजामुद्दीन में हुई ऐसी ही मरकज तबलीगी जमात धार्मिक संगठन से कुख्यात संगठन कहा जाने लगे. मार्च 2020 की बात है. दुनिया में कोविड का आतंक फैल रहा था. तब दिल्ली में कोविड को लेकर लॉकडाउन प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा था. इस बीच निजामुद्दीन में तबलीगी जमात ने मरकज आयोजित किया जिसमें 190 विदेशी नागरिक पहुंचे.
इल्जाम लगा- तबलीगी मरकज से फैला कोविड
पूरा इल्जाम तबलीगी जमात पर मढ़ दिया गया कि तबलीगी मरकज से कोविड फैल गया. मुसलमानों का संगठन होने से बीजेपी और अन्य संगठनों ने तबलीगी जमात को मुजरिम करार दिया. मीडिया में खूब निगेटिव खबरें प्रकाशित की गईं. कोविड फैलाने का पूरा इल्जाम तबलीगी जमात के सिर मढ़ दिया गया.
दिल्ली पुलिस ने 70 लोगों पर 16 एफआईआर ठोंक दिए. जिन लोगों के खिलाफ केस बनाया गया उनपर आरोप लगे कि साल 2020 में 24 से 30 मार्च के बीच लॉकडाउन के दौरान दिल्ली की अलग-अलग मस्जिदों में विदेशी नागरिकों को रुकवाया. इससे कोरोना वायरस फैला.
तब्लीगी जमात का निजामुद्दीन मरकज कोविड का हॉटस्पॉट घोषित किया गया. नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजित डोभाल भी मरकज देखने पहुंचे थे. आरोप लगे कि निजामुद्दीन के मरकज में तबलीगी जमात के जलसे में करीब 2 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे. यही लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में गए और कोरोना फैला.
चार्जशीट की उड़ी धज्जियां
पुलिस ने तो तबलीगी के 70 लोगों पर चार्जशीट फाइल कर दी, लेकिन जब कोर्ट में जज ने चार्जशीट पढ़ी तो उसकी धज्जियां उड़ने लगीं. पुलिस की चार्जशीट कुछ साबित नहीं कर पाई कि तबलीगी के कारण कोरोना वायरस फैला.
5 साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट की जज जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने तबलीगी जमात के साथ इंसाफ करते हुए तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए कहा कि केस को आगे बढ़ाना न्यायहित में नहीं होगा. इसी के साथ जज नीना बंसल ने तबलीगी के 70 लोगों पर लगे 16 एफआईआर को रद्द करते हुए केस खारिज कर दिया और आरोपियों को बरी कर दिया.
तबलीगी जमात की ओर से दी गई ये दलील काम कर गई कि सरकारी आदेश के बाद धार्मिक सभाओं और धार्मिक समारोहों पर विशेष रूप से प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन मस्जिदों या घरों में पाए गए लोगों को केवल आश्रय प्रदान किया गया था. कोरोना के आरोपों के बाद भी तबलीगी की एक्टिविटी कम नहीं हुई. उसके धर्म के प्रसार-प्रचार का काम चल रहा है. मरकज हो रहे हैं.
यह भी पढ़ें:
दिल्ली में अब मुख्यमंत्री और मंत्रियों को मिलेगा ₹1.5 लाख तक का मोबाइल, बिल भी सरकार भरेगी