तेजस्वी यादव का नाम वोटर लिस्ट से गायब, चुनाव आयोग ने तुरंत दिया जवाब

आशीष अभिनव

Tejashwi Yadav: बिहार में राजनीतिक हलचल के बीच एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है

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Tejashwi Yadav: बिहार में राजनीतिक हलचल के बीच एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है. खुद तेजस्वी यादव ने शनिवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बात का खुलासा किया. उन्होंने इस घटना को लेकर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं. हालांकि चुनाव आयोग ने तुरंत इस मामले पर जवाब  देकर बताया है कि उनका नाम लिस्ट में शामिल है. 

तेजस्वी यादव ने बताया कि उनके घर पर बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) सत्यापन के लिए आए थे और प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि "अब मैं चुनाव कैसे लड़ूंगा?"

हालांकि मतदाताओं को एक महीने का समय दिया गया है ताकि वो इस दौरान इस लिस्ट में अपने नाम को लेकर किसी तरह का दावा या सुधार कराने चाहें तो वो करा सकें.

65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए

तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग की नई वोटर लिस्ट पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने आरोप लगाया कि लगभग हर विधानसभा क्षेत्र से 20 से 30 हजार नाम काटे गए हैं.

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बता दें शुक्रवार को चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया का पहला ड्राफ्ट जारी किया है, जिसमें 65 लाख मतदाताओं (लगभग 8.5%) का नाम मतदाता सूची से हटा दिया है.

चुनाव आयोग ने फौरन दिया उत्तर


तेजस्वी यादव के आरोप लगाने के बाद चुनाव आयोग ने फौरन इसपर प्रतिक्रिया दी है, चुनाव आयोग ने इस संबंध में लिस्ट जारी कर तेजस्वी यादव का नाम लिस्ट में जारी होने की बात की है, ईसी ने इस संबंध में तेजस्वी का सीरियल नंबर 416 भी जारी कर इसका स्पष्टीकरण दिया है.

निर्वाचन आयोग ने तेजस्वी यादव के प्रश्नों के उत्तर दिए हैं.

- शुद्ध निर्वाचक नामावलियां किसी भी लोकतंत्र की नींव होती हैं.

- SIR के अनुसार, दावे और आपत्तियों की अवधि पूरी एक माह की है — 1 अगस्त से 1 सितंबर तक.

- यदि किसी पात्र व्यक्ति का नाम सूची से छूट गया है या किसी अपात्र व्यक्ति का नाम शामिल हो गया है, तो उन्हें अपनी पार्टी के 47,506 बीएलए (BLA) को दावे और आपत्तियाँ दर्ज कराने के लिए कहना चाहिए.

- पिछले 24 घंटों में किसी भी राजनीतिक दल ने किसी बीएलए ने बीएलओ (BLO) के समक्ष एक भी मामला नहीं रखा है.

- उनके सभी बीएलए 1 अगस्त को उन्हें उपलब्ध कराई गई बूथवार प्रारूपिक सूचियों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने के लिए सहमत हो चुके हैं.

- चुनाव आयोग यह समझने में असमर्थ है कि वह लगातार यह निराधार आरोप क्यों लगा रहे हैं कि उनका नाम सूची में नहीं है आदि.

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