नीतीश सरकार की नीतियों का असर: माताओं और नवजात की जिंदगी हुई सुरक्षित, 5 साल में मातृ मृत्‍यु दर होगा शून्‍य!

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नीतीश सरकार की नीतियों के कारण बिहार में मातृ मृत्यु दर में 73% और नवजात मृत्यु दर में 44% की गिरावट. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

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बिहार के बारे में लोगों में अपने मन में एक अलग ही धारणा बना रखी है. अक्‍सर राज्य का जिक्र बदहाल स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था और लचर सेवाओं को लेकर हुआ करता था. मगर, जल्‍द ही यह अवधारणा खत्‍म होने वाली है, जो कि आंकड़ों में भी दिखाई देने लगा है.

बिहार ने अपने स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ बनाते हुए एक ऐसा मुकाम हासिल किया है, जो न सिर्फ राज्य के लिए गर्व की बात है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा भी है. जी हां, ये बिहार के लिए गौरव की बात है कि यहां का मातृ मृत्‍युदर में 74 फीसद की कमी हुई है. वहीं, शिशु मृत्युदर में भी जबरदस्त गिरावट दर्ज की है.

आंकड़ों में सुधार से स्‍वाथ्‍य मंत्री भी उत्‍साहित

तेजी से हो रहे स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था में सुधार का प्रमाण यह भी है कि मातृ मृत्यु दर के राष्ट्रीय औसत 93 से अब बिहार केवल 7 की दूरी पर सिमट गया है. स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री का कहना है कि साल 2030 तक इस अंतर को भी पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में किए गए दीर्घकालिक निवेश का नतीजा बताया है. 

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मातृ मृत्यु दर में लगभग 73.26 फीसद की गिरावट

आंकड़ों की माने तो जहां साल 2005 में प्रसव के दौरान एक लाख महिलाओं में 374 की मौत हो जाती थी. वहीं, अब यह संख्या घटकर महज 100 रह गई है. यानी मातृ मृत्‍यु 274 अंकों की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है, जो 73.26 फीसद की कमी बताती है. 

44 फीसद गिरा नवजात मृत्‍युदर

इसी तरह, शिशु मृत्युदर (IMR) के मोर्चे पर भी बिहार ने बड़ी छलांग लगाई है. साल 2010 के आंकड़ों की माने तो पहले एक हजार नवजातों में 48 की मृत्यु हो जाती थी. लेकिन अब अब घटकर मात्र 27 रह गई है. यह संख्‍या 43.74 फीसद की कमी दिखाती है. खास बात यह है कि यह संख्या अब भारत के राष्ट्रीय औसत के बराबर हो गई है. जो किसी भी राज्य के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का प्रमाण है.

74 फीसद प्रसव हो रहे संस्‍थागत

बिहार में अब 74 फीसदी प्रसव संस्थागत हो रहे हैं. बिहार सरकार के ये आंकड़े उत्‍साहित करने वाले हैं. इसकी वजह से जच्चा और बच्चा दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है. स्वास्थ्य मंत्री इसे "नीतीश कुमार के दूरदर्शी विजन और प्रशासनिक इच्छाशक्ति" का परिणाम मानते हैं. मंगल पांडेय का कहना है कि ये हमारे स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के मजबूत होने का प्रमाण है. उन्‍होंने बताया कि पहले राज्य में संस्थागत प्रसव की कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी. लेकिन अब ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि बिहार में संस्‍थागत रूप से ही प्रसव कराया जाए.

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