नीतीश कुमार का हरित विजन: डंपिंग जोन से बना पटना का सबसे बड़ा इको पार्क

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नीतीश कुमार की हरित क्रांति से पटना का डंपिंग ज़ोन बना खूबसूरत राजधानी वाटिका. 110 पार्कों ने बदली शहर की फिजा.

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बिहार की राजधानी पटना में वो जगह, जहां कभी कचरे का अंबार और बदबूदार नाला बहा करता था, आज शहरवासियों के सुकून और मनोरंजन का सबसे बड़ा केंद्र बन चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने राजधानी के डंपिंग जोन को ‘राजधानी वाटिका’ यानी इको पार्क में बदल दिया गया है. जो यह बताता है कि राजनीति में इच्‍छा की शक्ति और विजन है तो उसका असर हर तरफ दिखाई देता है.

110 पार्कों ने बदल दी शहर की फिजा

वर्ष 2005 तक पटना में गिने-चुने पार्क हुआ करते थे. जो थे वो भी बदहाल, लेकिन नीतीश सरकार ने हरित पटना का सपना साकार करते हुए 2025 तक 110 पार्कों का निर्माण और कायाकल्प कर दिया है. इन पार्कों ने न केवल शहर का नक्शा बदल दिया है, बल्कि शुद्ध हवा, स्वस्थ जीवन और मनोरंजन का साधन भी उपलब्‍ध करा दिया.

पेड़ों ने संवारी राजधानी वाटिका की खूबसूरती

इस राजधानी वाटिका में पाटली, गोल्डमोहर, स्वर्ण चंपा, अमलतास, बोतल पाम जैसे सैकड़ों प्रजातियों के पेड़-पौधे लगे हैं, जो पार्क की खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं. इन पेड़ों ने न सिर्फ पर्यावरण को शुद्ध किया, बल्कि लोगों के बीच हरियाली के प्रति प्रेम और जागरूकता भी पैदा की. आज ये मनोरंजन का केंद्र भी बना हुआ है.

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महिलाओं और बच्चों के लिए खास सुविधाएं

इस पार्क में बच्चों के लिए रोलर कोस्टर, स्केटिंग जोन, आर्क स्विंग, स्काई वॉक जैसे अत्याधुनिक झूले लगाए गए हैं. वहीं महिलाओं के लिए किटी पार्टी स्पॉट और अलग जिम की व्यवस्था भी की गई है. साफ-सुथरे शौचालय, पेयजल, बोटिंग, ग्रह-नक्षत्र गार्डन और फाउंटेन जैसी सुविधाएं राजधानी वाटिका को परिवारों के लिए परफेक्ट पिकनिक स्पॉट बनाती हैं.

ठंड के मौसम से यहां रहता है अलग माहौल

सर्दियों में राजधानी वाटिका का नजारा देखने लायक होता है. गुलाबों का बगीचा अपनी रंग-बिरंगी छटा बिखेरता है, वहीं सुबह-सुबह बच्चों की खिलखिलाहट और बुजुर्गों की सैर पार्क को जीवंत बना देती है. यह दृश्य पटना के बदलते चेहरे और सकारात्मक माहौल का प्रतीक बन चुका है.

प्रवासी पक्षियों का बसेरा हुआ संरक्षित

ठंड के मौसम में राजधानी जलाशय में कांब डक, लालसर, कूट समेत 30 से ज्यादा प्रजातियों के हजारों प्रवासी पक्षी हर साल डेरा डालते हैं. इनकी चहचहाहट से पूरा इलाका गुलजार हो उठता है. सचिवालय के आसपास पक्षियों की मौजूदगी राजधानी के इकोसिस्टम को और भी खास बना देती है. खास बात ये कि सीएम नीतीश कुमार के इस विजन से प्रवासी पक्षियों का बसेरा संरक्षित हो गया.

नीतीश कुमार की हरित क्रांति का विजन

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हरित पटना मिशन के चलते ही आज पटना में हर उम्र के लोगों को खुली हवा में सांस लेने और प्रकृति के करीब रहने का अवसर मिल रहा है. यह बदलाव इस बात का प्रमाण है कि अगर इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता हो, तो कचरे का ढेर भी खूबसूरत पार्क में बदल सकता है और एक शहर की पहचान बदल सकता है.

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