संविधान पर आमने-सामने RSS-विपक्ष, 'धर्मनिरपेक्ष-समाजवादी' शब्द पर सियासत, राहुल बोले- "इन्हें मनुस्मृति चाहिए!"

ललित यादव

RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था. उन्होंने इस बात पर विचार करने की ज़रूरत बताई कि क्या इन शब्दों को प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं.

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इमरजेंसी के 50 साल बाद संविधान पर नई बहस: क्या बदलेंगे 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्षता' शब्द?इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के एक बयान ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है. उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में मौजूद शब्दों 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' को लेकर सवाल उठाए हैं. इसके बाद से कांग्रेस ने RSS और बीजेपी पर तीखा हमला बोला है.

क्या है होसबाले का बयान?

होसबाले ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था. उन्होंने इस बात पर विचार करने की ज़रूरत बताई कि क्या इन शब्दों को प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं.

दत्तात्रेय होसबोले ने क्या कहा?

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में 1976 में 42वें संशोधन के तहत 'धर्मनिरपेक्षता' (Secularism) और 'समाजवाद' (Socialism) शब्द जोड़े गए थे. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने जो मूल प्रस्तावना लिखी थी, उसमें ये शब्द नहीं थे. होसबोले ने इस बात पर विचार करने की जरूरत बताई कि क्या ये शब्द आज भी प्रस्तावना में रहने चाहिए. उनका इशारा इमरजेंसी के दौरान हुए उन बदलावों की तरफ था, जिन पर लंबे समय से बहस चल रही है.

होसबाले के इस बयान के बाद कांग्रेस ने RSS और बीजेपी को निशाने पर लिया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि RSS और बीजेपी की सोच ही संविधान विरोधी है.

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कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "ये बाबा साहेब के संविधान को खत्म करने की वो साज़िश है, जो RSS-बीजेपी हमेशा से रचती आई है."

राहुल गांधी ने RSS पर साधा निशाना

होसबोले के बयान के तुरंत बाद, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरएसएस और बीजेपी पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "आरएसएस का नकाब फिर से उतर गया है. संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वह समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है." राहुल ने आरोप लगाया कि आरएसएस और बीजेपी 'मनुस्मृति' चाहते हैं, न कि संविधान. उन्होंने कहा कि ये लोग बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं और संविधान छीनना इनका असली मकसद है. राहुल ने प्रण लिया कि देश का हर देशभक्त भारतीय आखिरी दम तक संविधान की रक्षा करेगा.

विपक्ष के अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया

राहुल गांधी के अलावा, शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने भी आरएसएस पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि आरएसएस ने तो इमरजेंसी का समर्थन किया था. वहीं, आदित्य ठाकरे ने होसबोले के बयान को महाराष्ट्र के भाषा विवाद से ध्यान भटकाने वाला बताया.

शिवराज सिंह चौहान ने किया समर्थन

एक तरफ जहां विपक्ष ने होसबोले के बयान पर कड़ा विरोध जताया, वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका समर्थन कर विवाद को और बढ़ा दिया. उन्होंने कहा, "सर्व धर्म सम भाव हमारी भारतीय संस्कृति का मूल है. धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है." चौहान ने कहा कि इस पर विचार होना चाहिए कि इमरजेंसी में जोड़े गए 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द को हटाया जाए. उन्होंने 'समाजवाद' शब्द पर भी सवाल उठाया और कहा कि "सिया राम में सबको एक जैसा माना" जाने के कारण इसकी भी आवश्यकता नहीं है.

RSS के पुराने बयानों से तुलना

RSS के मौजूदा सरसंघचालक मोहन भागवत ने 2018 में दिल्ली के विज्ञान भवन में कहा था, "ये संविधान हमारे लोगों ने तैयार किया और ये संविधान हमारे देश का कंसेंसस (आम सहमति) है इसलिए संविधान के अनुशासन का पालन करना सबका कर्त्तव्य है." उन्होंने आगे कहा था कि "संघ इसको पहले से ही मानता है...हम स्वतंत्र भारत के सब प्रतीकों का और संविधान की भावना का पूर्ण सम्मान करके चलते हैं." होसबोले का हालिया बयान, भागवत के पहले के रुख से अलग लग रहा है, जिससे राजनीतिक गलियारों में बहस और तेज हो गई है.

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