अजित पवार ने शरद पवार को फिर दी करारी शिकस्त, 21 में से 20 सीट जीते, जानें क्यों खास है यह चुनाव?
Malegaon Sugar Mill Election Result: महाराष्ट्र की राजनीति में अजित पवार ने चाचा शरद पवार को बड़ा झटका देते हुए मालेगांव सहकारी चीनी मिल के बोर्ड चुनाव में 21 में से 20 सीटें जीत ली हैं.
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Malegaon Sugar Mill Election Result: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर अजित पवार ने अपनी ताकत दिखाई है. विधानसभा चुनाव के बाद अब मालेगांव सहकारी चीनी मिल के बोर्ड चुनाव में डिप्टी सीएम अजित पवार ने चाचा शरद पवार को बड़ा झटका दिया है. उनके पैनल ने 21 में से 20 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया, जबकि शरद पवार की एनसीपी (एसपी) समर्थित पैनल को एक भी सीट नहीं मिली. यह जीत अजित पवार के बढ़ते दबदबे को दर्शाती है. आइए, जानते हैं क्या इस जीत का महत्व?
चीनी मिल की सियासत में अजित का जलवा
मालेगांव सहकारी चीनी मिल का चुनाव इस बार प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया था. अजित पवार ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह चीनी मिल के अध्यक्ष बनेंगे. बुधवार रात को आए नतीजों ने उनकी इस घोषणा पर मुहर लगा दी. उनके पैनल ने 21 में से 20 सीटें जीतकर लगभग क्लीन स्वीप किया. यह जीत बारामती तहसील में अजित पवार के नेतृत्व को और मजबूत करती है, जो कभी शरद पवार का गढ़ माना जाता था.
कब और कैसे हुआ चुनाव?
मालेगांव चीनी मिल के लिए 22 जून को मतदान हुआ था. वोटों की गिनती मंगलवार सुबह 9 बजे शुरू हुई, जो 36 घंटे तक चली. इस लंबी प्रक्रिया के बाद बुधवार रात को सभी 21 सीटों के नतीजे सामने आए. अजित पवार के पैनल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी चंद्रराव तावरे के पैनल को सिर्फ एक सीट पर समेट दिया.
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शरद पवार का दबदबा टूटा?
सहकारी क्षेत्र में दशकों तक शरद पवार का वर्चस्व रहा है. लेकिन इस बार अजित पवार ने उनके गढ़ में सेंध लगाई. अजित के समर्थकों ने इस जीत को ऐतिहासिक बताते हुए जमकर जश्न मनाया. अजित पवार के चुनाव प्रभारी किरण गुजर ने कहा, "हमें इस जीत की पूरी उम्मीद थी. अजित पवार के नेतृत्व को कोई चुनौती नहीं थी. यह परिणाम उनके दमदार नेतृत्व का सबूत है."
युगेंद्र पवार ने मानी हार
शरद पवार के पोते युगेंद्र पवार ने नतीजों पर निराशा जताई, लेकिन इसे अप्रत्याशित नहीं बताया. उन्होंने कहा,
"हम अजित पवार के पैनल के साथ सीट बंटवारे की बात कर रहे थे. हमें तीन से चार सीटें मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अंतिम समय में उनके पैनल ने सभी 21 उम्मीदवार उतार दिए."
युगेंद्र ने बताया कि चुनाव लड़ने का फैसला कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने और यह दिखाने के लिए था कि उनकी पार्टी किसी भी चुनौती से पीछे नहीं हटेगी.
क्यों खास है यह चुनाव?
महाराष्ट्र की राजनीति में सहकारी चीनी मिलों का खास महत्व रहा है. ये चुनाव न सिर्फ स्थानीय स्तर पर प्रभाव डालते हैं, बल्कि राज्य की सियासत में भी ताकत का पैमाना माने जाते हैं. बारामती में पहले शरद पवार परिवार का इन बोर्डों पर कब्जा रहता था, लेकिन इस बार अजित पवार ने बाजी मार ली. चुनाव प्रचार के दौरान अजित ने मालेगांव चीनी मिल को 500 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद का वादा किया और 15 रैलियां कीं, जिसका असर नतीजों में साफ दिखा.