ठाणे के स्कूल में शर्मसार करने वाली घटना: 100 से ज्यादा छात्राओं के कपड़े उतरवाकर चेक की गई माहवारी, वजह बेहद चौंकाने वाली!

न्यूज तक

Thane News: महाराष्ट्र के ठाणे जिले के शाहापुर तालुका में रतनबाई दमानी स्कूल में हुई एक शर्मनाक घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया है. स्कूल के शौचालय में खून के धब्बे मिलने के बाद, मासिक धर्म की जांच के नाम पर कक्षा 6 से 10 तक की करीब 125 छात्राओं को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
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Thane News: महाराष्ट्र के ठाणे जिले के शाहापुर तालुका में रतनबाई दमानी स्कूल में हुई एक शर्मनाक घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया है. स्कूल के शौचालय में खून के धब्बे मिलने के बाद, मासिक धर्म की जांच के नाम पर कक्षा 6 से 10 तक की करीब 125 छात्राओं को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया. इस अमानवीय कृत्य ने न केवल छात्राओं को मानसिक रूप से आहत किया, बल्कि अभिभावकों और स्थानीय समुदाय में आक्रोश फैल गया.

क्या है पूरा मामला?

मंगलवार को स्कूल के शौचालय में खून के धब्बे देखे गए. प्रिंसिपल माधुरी गायकवाड ने इसे मासिक धर्म से जोड़ते हुए सभी छात्राओं से पूछताछ शुरू की. जब डरी-सहमी छात्राएं जवाब नहीं दे पाईं, तो प्रिंसिपल ने महिला कर्मचारियों की मदद से उनकी तलाशी ली. आरोप है कि छात्राओं को शौचालय में ले जाकर कपड़े उतरवाए गए. इतना ही नहीं, दीवार पर लगे खून के धब्बे को प्रोजेक्टर पर दिखाया गया और छात्राओं के फिंगरप्रिंट भी लिए गए. स्कूल में पानी की कमी के कारण छात्राओं ने खून को दीवार पर पोंछने की कोशिश की थी. छात्राओं के कपड़े उतरवाने के पीछे यह चेक करना था कि बाथरूम में खून के धब्बे किस तरह के हैं. 

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अभिभावकों का गुस्सा, स्कूल के बाहर प्रदर्शन

घर पहुंचने पर छात्राओं ने रोते हुए अपने माता-पिता को इस घटना की जानकारी दी. गुस्साए अभिभावकों ने बुधवार को स्कूल पहुंचकर प्रिंसिपल को घेर लिया और जवाब मांगा. स्कूल प्रबंधन और अर्चना एजुकेशनल ट्रस्ट के प्रमुख से संपर्क न होने पर अभिभावकों ने शाहापुर पुलिस स्टेशन पर धरना शुरू कर दिया. उन्होंने "दमानी स्कूल हाय हाय" के नारे लगाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की. अभिभावकों ने चेतावनी दी कि अगर दोषियों को सजा नहीं मिली, तो स्कूल में ताला जड़ दिया जाएगा.

पुलिस और प्रशासन का एक्शन

घटना की गंभीरता को देखते हुए शाहापुर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की. पुलिस उप अधीक्षक मिलिंद शिंदे ने बताया कि प्रिंसिपल माधुरी गायकवाड सहित आठ लोगों के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. इनमें चार शिक्षक, दो ट्रस्टी और एक महिला कर्मचारी शामिल हैं. प्रिंसिपल को बर्खास्त करने का पत्र भी जारी कर दिया गया है, और जल्द ही उनकी गिरफ्तारी की जाएगी. शाहापुर पंचायत समिति के गट शिक्षा अधिकारी ने इस मामले की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी है.

छात्राओं पर मानसिक आघात

इस घटना का छात्राओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है. कई छात्राएं अब स्कूल जाने से डर रही हैं. अभिभावकों का कहना है कि इस तरह का व्यवहार न केवल अमानवीय है, बल्कि बच्चों के भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है. स्कूल और प्रबंधन की चुप्पी अर्चना एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा संचालित इस स्कूल में नर्सरी से 10वीं तक करीब 600 छात्र पढ़ते हैं. घटना के बाद ट्रस्ट के प्रमुख से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. स्कूल प्रबंधन ने भी इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.

कानूनी कार्रवाई और आगे की जांच

पुलिस ने इस मामले में तेजी से जांच शुरू कर दी है. POCSO एक्ट के तहत दर्ज मामले में दोषियों को कड़ी सजा मिलने की उम्मीद है. पुलिस उप अधीक्षक मिलिंद शिंदे ने कहा, "हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं. सभी आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी." 

 
 
 
 

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