Thailand PM Suspended: थाईलैंड की 38 साल की PM ने कंबोडियाई नेता को कहा 'अंकल', हो गया बवाल
थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा को लीक कॉल और कंबोडिया विवाद के चलते पद से निलंबित कर दिया गया है. संवैधानिक अदालत का बड़ा फैसला.
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थाईलैंड की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल से गुजर रही है. देश की संवैधानिक अदालत ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा (38) को उनके पद से निलंबित कर दिया है. यह निलंबन एक लीक हुई फोन कॉल और कंबोडिया सीमा विवाद से जुड़े घटनाक्रमों के चलते हुआ है. अदालत ने 7-2 के बहुमत से यह फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री 1 जुलाई से अपने कर्तव्यों से अलग रहेंगी, जब तक कि अंतिम निर्णय नहीं आ जाता.
लीक कॉल और सीमा विवाद बना कारण
मई में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर हुए टकराव में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न ने कंबोडियाई नेता हुन सेन से फोन पर बात की थी. इस बातचीत में उन्होंने सेन को 'अंकल' कहा और एक थाई सैन्य अधिकारी को विरोधी बताया.
कुछ दिन पहले यह कॉल लीक हो गई, जिससे देश में राजनीतिक भूचाल आ गया. सेना और रूढ़िवादी ताकतों ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ बताया.
सेना समर्थक सांसदों की याचिका पर एक्शन
फोन कॉल लीक होने के बाद सेना समर्थक सांसदों ने पैतोंगटार्न के खिलाफ संवैधानिक अदालत में याचिका दायर की. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने थाई सेना का अपमान किया और विदेश नीति व नैतिक जिम्मेदारी के मानकों का उल्लंघन किया.
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प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न ने सीधे कोई बयान नहीं दिया, लेकिन उनके प्रवक्ता ने कहा- “प्रधानमंत्री का मकसद टकराव को टालना और क्षेत्र में शांति बनाए रखना था. कॉल को गलत तरीके से पेश किया गया.” प्रवक्ता ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री अदालत के आदेशों का पालन करेंगी और जांच में पूरा सहयोग देंगी.
शिनावात्रा परिवार: राजनीति में संघर्ष का प्रतीक
पैतोंगटार्न शिनावात्रा, पूर्व प्रधानमंत्री थाक्सिन शिनावात्रा की बेटी हैं, जिन्हें 2006 में सेना ने तख्तापलट कर सत्ता से हटा दिया था. शिनावात्रा परिवार थाई राजनीति में लंबे समय से लोकतंत्र बनाम सैन्य वर्चस्व के संघर्ष का केंद्र रहा है.
कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति
संवैधानिक अदालत के आदेश के बाद उप प्रधानमंत्री सूरिया जुआंगरूंगरूंगकिट को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है. अब यह मामला अदालत में विचाराधीन रहेगा और इसका असर थाईलैंड की राजनीतिक स्थिरता पर साफ नजर आएगा.
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