राहुल गांधी ने गुजरात में ऐसा क्या किया? अब कांग्रेसी पूछ रहे सवाल
हाल ही में राहुल गांधी के गुजरात दौरे के दौरान उन्होंने बीजेपी के स्लीपर सेल्स का जिक्र कर कार्यकर्ताओं में जोश भरा था, लेकिन अब वही जोश सवालों में बदलता नजर आ रहा है. गुजरात के कांग्रेस नेताओं और देश भर के पत्रकारों ने राहुल गांधी से कड़े सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं.
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गुजरात में कांग्रेस के लिए हालात लगातार चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं. हाल ही में राहुल गांधी के गुजरात दौरे के दौरान उन्होंने बीजेपी के स्लीपर सेल्स का जिक्र कर कार्यकर्ताओं में जोश भरा था, लेकिन अब वही जोश सवालों में बदलता नजर आ रहा है. गुजरात के कांग्रेस नेताओं और देश भर के पत्रकारों ने राहुल गांधी से कड़े सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं.
पूर्व विधायक ने चिट्ठी लिखकर पूछा सवाल
खास तौर पर पूर्व विधायक मनहर पटेल ने राहुल को एक चिट्ठी लिखकर सवाल उठाया है कि पिछले दो दशकों में गुजरात में करीब कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी या अन्य दलों में क्यों चले गए? इनमें से 95% से ज्यादा बीजेपी में शामिल हुए. क्या राहुल गांधी ने कभी इसकी वजह जानने की कोशिश की?
महासचिवों के व्यवहार ने किया निराश
मनहर पटेल का कहना है कि ये नेता राज्य प्रभारियों और विपक्ष के नेताओं के मनमाने और तानाशाही रवैये से तंग आकर पार्टी छोड़ गए. केंद्र से भेजे गए महासचिवों के व्यवहार ने भी नेताओं को निराश किया. पटेल ने पूछा कि क्या राहुल गांधी ने कभी इन नेताओं से मिलकर या कार्यकर्ताओं के बीच जाकर इसकी हकीकत जानने की कोशिश की?
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अल्पेश और हार्दिक का दांव उल्टा पड़ा
गुजरात में कांग्रेस की रणनीति पर भी सवाल उठ रहे हैं. अल्पेश ठाकुर और हार्दिक पटेल जैसे नेताओं को राहुल गांधी ने बिना स्थानीय नेताओं या कार्यकर्ताओं की राय लिए पार्टी में शामिल किया. इन नेताओं ने बड़े पद हासिल किए, टिकटों का बंटवारा अपने हिसाब से किया, लेकिन अंत में दोनों बीजेपी में लौट गए. बीजेपी ने इन्हें सम्मान दिया, जबकि कांग्रेस उस चुनाव में हार का मुंह देखती रही. कार्यकर्ताओं का आरोप है कि राहुल गांधी को इनकी बीजेपी समर्थक विचारधारा और अवसरवादी रवैये का अंदाजा नहीं था. इसका नतीजा यह हुआ कि गुजरात में कांग्रेस के भीतर खेमेबाजी और विद्रोह की स्थिति पैदा हो गई. कई नेता घर बैठ गए, तो कुछ बीजेपी में शामिल हो गए.
नेतृत्व में स्पष्टता की जरूरत
कांग्रेस के भीतर तीन पावर सेंटर माने जाते हैं-सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी. यह भी एक कारण है कि पार्टी में नेतृत्व को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है. गुजरात के नेताओं द्वारा उठाए गए सवाल इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पार्टी को एक स्पष्ट और निर्णायक नेतृत्व की आवश्यकता है.
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