NPS या UPS बेस्ट.. फिर क्यों तेज हो गई डिबेट? | Rupya Paisa

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आज से 21 साल पहले एनडीए की सरकार चलाते समय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पेंशन खत्म कर दी. पेंशन का लोड बढ़ने से सरकार ने छुटकारा पाने के लिए नेशनल पेंशन स्कीम एनसीएस शुरू की. फैसला हुआ कि 1 अप्रैल 2004 के बाद जो भी ज्वाइनिंग होगी उसमें पेंशन नहीं मिलेगी. एनपीएस वाली पेंशन मिलेगी. केंद्र सरकार की नौकरी में 20 साल से एनपीएस ही चल रहा है.  

राहुल गांधी ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का चुनावी वादा करके एनपीएस के खिलाफ ऐसा माहौल बनाया कि सरकार को रिव्यू करना पड़ा. मोदी सरकार ने पेंशन का पुराना सिस्टम लागू तो नहीं किया लेकिन पेंशन देने के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम यूपीएस शुरू की. एक अप्रैल 2025 से यूपीएस लागू हो चुका है. 

सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनर्स को ऑप्शन दिया कि चाहें तो एनपीएस से यूपीएस में स्विच कर लीजिए. अब इसमें कर्मचारी कतई जोश नहीं दिखा रहे हैं. सरकार ने पहले एनसीपी से यूपीएस स्विच करने की डेडलाइन 30 जून रखी थी लेकिन इतना ठंडा रेस्पॉन्स मिला कि नए सिरे से 30 सितंबर की डेडलाइन बढ़ाई गई. सरकार से डेडलाइन बढ़ाने की मांग की जा रही थी. जो अप्लाई करके यूपीएस में जाएंगे उन्हें पेंशन मिलेगी. जो नहीं करेंगे वो एनपीएस में रह जाएंगे. उन्हें मार्केट लिंक्ड पेंशन मिलेगी जिसे नाकाफी कहा जाता रहा. एक बार यूपीएस में चले गए तो वापस एनसीपी में नहीं लौट पाएंगे. न्यू ज्वाइनी को 30 दिन में बताना होगा कि वो UPS लेना चाहते हैं या नहीं.

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