कैसा होगा भारत का बिजली से चलने वाला पहला विमान, E-Hansa के बारे में डिटेल में जानें

ऋषि सिंह

E-Hansa बेंगलुरु स्थित CSIR-नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेट्रीज़ (NAL) द्वारा विकसित किया गया एक दो-सीटर वाला स्वदेशी इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान है. इस परियोजना को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का समर्थन प्राप्त है. E-Hansa का उद्देश्य न केवल पायलटों को प्रशिक्षित करना है, बल्कि एक हरित, सस्ता और तकनीकी रूप से उन्नत विकल्प प्रदान करना भी है.

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भारत अब विमानन प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठा रहा है. सालों तक विदेशी ट्रेनर विमानों पर निर्भर रहने के बाद, अब भारत ने अपनी पहली स्वदेशी इलेक्ट्रिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट - E-Hansa को विकसित करने की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है. यह सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत, हरित पर्यावरण और युवा सशक्तिकरण की एक उड़ती हुई मिसाल है.

क्या है E-Hansa और क्यों है यह खास?

E-Hansa बेंगलुरु स्थित CSIR-नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेट्रीज़ (NAL) द्वारा विकसित किया गया एक दो-सीटर वाला स्वदेशी इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान है. इस परियोजना को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का समर्थन प्राप्त है. E-Hansa का उद्देश्य न केवल पायलटों को प्रशिक्षित करना है, बल्कि एक हरित, सस्ता और तकनीकी रूप से उन्नत विकल्प प्रदान करना भी है.

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मुख्य विशेषताएं:

  • इलेक्ट्रिक पावर: पारंपरिक विमान के मुकाबले यह शून्य कार्बन उत्सर्जन करता है, जिससे पर्यावरण पर इसका असर न्यूनतम होता है.
  • कम लागत: विदेशी ट्रेनर विमानों की कीमत जहां करीब ₹4 करोड़ है, वहीं E-Hansa को सिर्फ ₹2 करोड़ में तैयार किया जा रहा है.
  • कम शोर: इलेक्ट्रिक इंजन की वजह से यह विमान बेहद शांत होता है, जिससे आबादी वाले इलाकों में प्रशिक्षण देना आसान हो जाता है.
  • पूरी तरह स्वदेशी: इसकी डिजाइन, निर्माण और परीक्षण सभी भारत में ही किए जा रहे हैं.

HANSA-3 नेक्स्ट जनरेशन प्रोग्राम का हिस्सा

E-Hansa दरअसल HANSA-3 (Next Generation) परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भारत में एक Advanced Aircraft Training System विकसित करने की दिशा में काम कर रही है. इस कार्यक्रम का लक्ष्य है भारत को पायलट प्रशिक्षण में आत्मनिर्भर बनाना और देश के युवाओं को सस्ते और सुलभ प्रशिक्षण अवसर उपलब्ध कराना. वर्तमान में भारत में केवल  6,000-7,000 प्रशिक्षित पायलट हैं, जबकि अगले 15-20 वर्षों में यह मांग 30,000 पायलटों तक पहुंचने की संभावना है. इसके लिए भारत अभी से ही विश्वस्तरीय फ्लाइट ट्रेनिंग इकोसिस्टम तैयार कर रहा है. E-Hansa का विकास देश के युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण अवसर, सस्ती एविएशन सुविधाएं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने की क्षमता देगा. यह देश के युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण अवसर, सस्ती एविएशन सुविधाएं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने की क्षमता देगा. आने वाला दशक भारत के विमानन इतिहास में हरित, सशक्त और आत्मनिर्भर युग की शुरुआत के रूप में याद किया जाएगा.

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