कच्ची झोपड़ी में रहकर बाड़मेर के श्रवण ने NEET परीक्षा क्रेक कर रचा इतिहास, अब बनेंगे डॉक्टर
NEET Success Story: एक कच्चे घर में रहने और पिता के बर्तन धोकर गुजारा करने के बावजूद, श्रवण ने NEET 2025 की परीक्षा पास कर अपना डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर दिखाया है. यह कहानी लाखों गरीब परिवारों के लिए प्रेरणा है.
ADVERTISEMENT

NEET Success Story: अक्सर कहा जाता है कि गरीबी हौसलों को तोड़ देती है, लेकिन बाड़मेर के श्रवण कुमार (Barmer Shravan Kumar) ने इस बात को गलत साबित कर दिया है. एक कच्चे घर में रहने और पिता के बर्तन धोकर गुजारा करने के बावजूद, श्रवण ने NEET 2025 की परीक्षा पास कर अपना डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर दिखाया है. यह कहानी लाखों गरीब परिवारों के लिए प्रेरणा है.
मुश्किलों से भरा बचपन, फिर भी नहीं मानी हार
श्रवण का बचपन आम बच्चों जैसा नहीं था. उनका घर कच्ची झोपड़ी का था, जहां बारिश में छत से पानी टपकता था. उनके पिता शादियों और दूसरे कार्यक्रमों में बर्तन धोने का काम करते हैं. घर में पढ़ाई के लिए कोई खास सुविधा नहीं थी, लेकिन श्रवण की आंखों में हमेशा से डॉक्टर बनने का सपना था. हर मुश्किल के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी.
श्रवण ने दसवीं तक सरकारी स्कूल में शिक्षा प्राप्त की है. आर्थिक अभावों के कारण कमठे (मकान चुनाई) के काम भी किया. पिताजी बर्षा ऋतु में किसानी और बाद में झूठे बर्तन धोने का काम करते थे.
यह भी पढ़ें: NEET Result 2025: 720 में से 686 अंक लाकर सीकर के महेश ने रचा इतिहास, मिली AIR-1, मार्कशीट देख चौंक जाएंगे
यह भी पढ़ें...
'फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान' बना सहारा
श्रवण के इस सपने को सच करने में बाड़मेर की फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान ने बहुत मदद की. यह संस्था ऐसे गरीब और होनहार बच्चों को मुफ्त में कोचिंग, रहने और खाने की सुविधा देती है. श्रवण भी इसी संस्था से जुड़े और कड़ी मेहनत की. उनकी ओबीसी कैटेगरी में 4071वीं रैंक आई है, जो एक बड़ी उपलब्धि है.
संस्थान के प्रमुख डॉ. भरत सारण बताते हैं, "हमारा मकसद सिर्फ बच्चों को पढ़ाना नहीं है, बल्कि उन्हें बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला देना है. श्रवण जैसे बच्चे हमारी प्रेरणा हैं." श्रवण अब देश के अच्छे मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेकर डॉक्टर बनने की अपनी राह पर हैं.
श्रवण की यह कहानी बताती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती. यह उन सभी बच्चों के लिए एक मिसाल है जो गरीबी के कारण अपने सपने छोड़ देते हैं.
यह भी पढ़ें: NEET 2025 Result: हनुमानगढ़ के तीन सगे भाई-बहनों ने रचा इतिहास, NEET UG में एक साथ हुआ सबका सिलेक्शन!