DPS द्वारका विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, स्कूल और सरकार से मांगा जवाब

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DPS School Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने DPS द्वारका के खिलाफ शिकायत पर स्कूल और सरकार से जवाब मांगा. अतिरिक्त शुल्क और नियम उल्लंघन पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया.

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सुप्रीम कोर्ट ने डीपीएस द्वारका से जवाब मांगा, स्कूल पर नियम उल्लंघन का आरोप
DPS स्कूल विवाद
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DPS School Controversy: दिल्ली के मशहूर दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) द्वारका की मनमानी पर अब सुप्रीम कोर्ट की नजर है. स्कूल के अभिभावकों की शिकायत पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने स्कूल प्रबंधन और सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अभिभावकों ने स्कूल पर अनैतिक तरीके से अतिरिक्त शुल्क वसूलने और नियमों की अनदेखी करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. इसी मामले में आज सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जवाब मांगा है.

अभिभावकों ने की शिकायत

डीपीएस द्वारका के अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि स्कूल सरकार से रियायती दर पर मिली जमीन का गलत फायदा उठा रहा है. याचिका में कहा गया है कि स्कूल प्रबंधन अभिभावकों पर अनुचित और अप्रस्तावित शुल्क थोप रहा है. इतना ही नहीं, स्कूल ने एकतरफा फैसला लेते हुए 32 छात्रों का नाम तक अपनी सूची से हटा दिया. अभिभावकों के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि यह स्कूल की मनमानी का साफ उदाहरण है.

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सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या निजी अनुदानरहित स्कूलों पर नियमावली लागू नहीं होती? याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली में दो तरह के स्कूल हैं. जिन स्कूलों को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने जमीन दी है, उनके लिए खास शर्तें लागू होती हैं, जिनका पालन डीपीएस द्वारका नहीं कर रहा.

स्कूल ने कही ये बात 

वहीं, स्कूल के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि यह मामला पहले से ही दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब हाई कोर्ट इसकी सुनवाई कर रहा है, तो अभिभावक सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) कैसे दायर कर सकते हैं? उनका कहना था कि यह प्रक्रियाओं को दरकिनार करने की कोशिश है.

क्या होगा आगे?

यह मामला अब स्कूलों की मनमानी और अभिभावकों के हितों की रक्षा का अहम मुद्दा बन गया है. सुप्रीम कोर्ट का अगला कदम इस मामले में निजी स्कूलों के लिए नियमों को और स्पष्ट कर सकता है. अभिभावकों को उम्मीद है कि कोर्ट का फैसला उनके हक में होगा और स्कूलों की मनमानी पर रोक लगेगी.

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