बस्तर की गोद में बसा ‘भारत का नियाग्रा’, जहां चपड़ा चटनी से लेकर महुआ तक है खास, जानें पूरी डिटेल

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Chitrakote waterfall: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित चित्रकोट वाटरफॉल, अपनी चौड़ाई, घोड़े की नाल जैसी बनावट और भव्य जलप्रवाह के कारण ‘भारत का नियाग्रा’ कहलाता है. मानसून में इसका लाल बहता पानी देखने लायक होता है.

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चित्रकोट वॉटरफॉल
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छत्तीसगढ़ की सुंदर हरियाली के बीच है विशालकाय चित्रकोट वाटरफॉल. इसका हरा दिखने वाला पानी जब झील से गिरता है तो ऐसा लगता है जैसे आसमान से सफेद दूध धरती की ओर अपनी पूरी रफ्तार से आ रहा हो. यह देखने में आंखों को मंत्रमुग्ध करने वाला नजारा नजर आता है. चित्रकोट जलप्रपात हरे भरे बस्तर जिले में स्थित है जो की छत्तीसगढ़ के उत्तरी पूर्व हिस्से में है.

इंद्रावती नदी इस झील में गिरती है और बरसात में इसका पानी मटमैला लाल हो जाता है जो देखने में कई बार खूनी लाल नजर आता है. यह 300 मीटर चौड़ा जो कि भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात बन जाता है. घोड़े के नाल जैसा घुमा इस झील का छोर एक अद्भुत दृश्य देता है. यह 30 मीटर लंबा और इसकी इस लंबाई के कारण इसकी आवाज आपको 3-4 किलोमीटर दूर से ही सुनाई देने लगेगी.

क्यों बोला जाता है भारत का नियाग्रा फॉल?

चित्रकूट जलप्रपात को भारत का नियाग्रा फॉल इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी चौड़ाई, आकार, जलप्रवाह की ताकत, और प्राकृतिक सुंदरता नियाग्रा फॉल्स जैसी है. विशेष रूप से मानसून के समय इसकी भव्यता देखते ही बनती है. अपने घोडे की नाल समान मुख के कारण इस जाल प्रपात को भारत का निआग्रा कहा जाता है.

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घूमने का समय

  • सर्दियों में अक्टूबर से फरवरी तक चित्रकोट घूमने के लिए सबसे लोकप्रिय समय है मगर जनवरी और फरवरी के समय पानी का बहाव बहुत कम होता है.
  • मानसून में जुलाई से सितंबर झील में हरियाली और बहाव बढ़ जाता है. इस समय नदी अपने सबसे रौद्र रूप में होती है. इस वक्त नदी के बहुत पास जाना से बचें.
  • गर्मियों में मार्च से जून तक तापमान बढ़ जाता है इसलिए इस समय यात्रा करने की सलाह नहीं दी जाती है.

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कैसे पहुंचें? 

  • हवाई मार्ग: रायपुर से जगदलपुर एयरपोर्ट तक फ्लाइट (IndiGo/Alliance Air) – लगभग 41 किमी दूर
  • रेल मार्ग: रायपुर या राजनांदगांव/झारसुगुड़ा/संभलपुर से ट्रेन; फिर जगदलपुर तक सड़क मार्ग
  • सड़क मार्ग: रायपुर → जगदलपुर (~300 किमी, NH-30), फिर जगदलपुर → चित्रकोट (~41 किमी) टैक्सी या बस द्वारा

कहां रुकें?

  • Dandami Luxury Resort: चित्रकोट से 1 किमी, लक़्ज़री कॉटेजेस, लॉन, बैठने की सुविधाएं
  • Chitrakote Homestay: पारंपरिक आदिवासी शैली, लगभग 800 मीटर की दूरी, सांस्कृतिक आस्था के साथ ठहराव
  • जगदलपुर विकल्प: Bastar Jungle Resort और Naman Bastar Resort – बजट और मिड-रेंज विकल्प, सकारात्मक रिव्यू के साथ

ऊपर दिए गए विकल्प केवल आपकी सहूलियत के लिए है. आप अपनी सुविधा के हिसाब से अन्य जगह भी देख सकते है.

क्या देखें? 

  • चित्रकोट वॉटरफॉल: 300 मी चौड़ाई और 30मी ऊंचाई वाला यह झरना हर मौसम में अलग रूप लेता है. मानसून में पानी लाल मिट्टी के साथ झरता है, जो खूनी-सी छटा बनाता है.
  • घोड़े की नाल जैसी संरचना: यह विशेष आकार की आकृति प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाती है
  • गुप्त गोदावरी गुफाएँ, रामघाट, सती अनुसूया मंदिर, जानकी कुंड, स्फटिक शिला: ये स्थल चित्रकोट से थोड़ी दूरी पर हैं और भ्रमण का आनंद बढ़ाते हैं.
  • वन्य जीवन और ट्रेकिंग: आसपास की पहाड़ियों में ट्रेकिंग और पक्षी-पक्षी़चर देखने के लिए भी यह जगह उपयुक्त है.

गलती से भी ना मिस करें ये खाना 

1. चपड़ा चटनी (लाल चींटियों की चटनी)

बस्तर की सबसे चर्चित और अनोखी डिश, चपड़ा चटनी लाल चींटियों और उनके अंडों को पीसकर मसालों के साथ तैयार की जाती है. इसका तीखा, खट्टा और बिल्कुल अलग स्वाद इसे खास बनाता है. यह चटनी आदिवासी समाज की पारंपरिक खान-पान संस्कृति का प्रतीक है.

2. फरा (चावल से बनी नमकीन पकौड़ी)

फरा, उबले चावल के आटे से बनती है और हल्की भाप में पकाई जाती है. इसे आमतौर पर नाश्ते या हल्के भोजन के रूप में खाया जाता है. स्थानीय मसालों से बनी चटनी में डुबाकर इसका स्वाद दोगुना हो जाता है.

3. अंगाकर रोटी और ठेठरी चटनी

मक्के या चावल के आटे से बनी मोटी रोटी जिसे पारंपरिक तौर पर कोयले या चूल्हे पर पकाया जाता है. इसके साथ परोसी जाने वाली तीखी ठेठरी चटनी इसका स्वाद और भी खास बना देती है.

4. बोड़ा / चीला

बोड़ा या चीला, चावल या बेसन से बना एक कुरकुरा स्नैक है, जिसमें अदरक, लहसुन और हरा धनिया मिलाया जाता है. यह झरनों या लोकल बाजारों के आसपास की दुकानों पर आसानी से मिल जाता है.

5. महुआ से बने व्यंजन व पेय

महुआ के फूलों से बना पेय आदिवासी समुदाय में बेहद लोकप्रिय है. यह अल्कोहलिक और नॉन-अल्कोहलिक दोनों रूपों में मिलता है. इसके अलावा महुआ से मिठाइयां और अन्य डिश भी बनाई जाती हैं, जो बस्तर की पारंपरिक थाली का हिस्सा होती हैं.

6. देशी स्टाइल मछली (नॉन-वेज प्रेमियों के लिए)

चित्रकोट के आसपास के गांवों में मछली को पारंपरिक मसालों, सल्फा और लाल मिर्च के साथ पकाया जाता है. खास बात यह है कि इसे महुआ तेल में पकाया जाता है, जो इसे विशिष्ट स्वाद देता है.

7. सेल्फी वाला गुड़ और आदिवासी मिठाइयां

बस्तर का गुड़ स्वाद में थोड़ा नमकीन और हल्का खट्टा होता है, जो इसे खास बनाता है. यह 'सेल्फी वाला गुड़' के नाम से भी मशहूर है. साथ ही, सल्फा की कैंडी और पारंपरिक आदिवासी मिठाइयां भी स्थानीय दुकानों में मिलती हैं, जिन्हें जरूर आजमाना चाहिए.

इनपुट- कुंज आर्य (न्यूज तक के साथ इंटर्न)

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