AI Job Loss: क्या सच में नौकरी खा जाएगा AI? 'हिसाब किताब' के खास विश्लेषण में जानिए सच्चाई

News Tak Desk

इंडिया टुडे ग्रुप के Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने साप्ताहिक कार्यक्रम 'हिसाब किताब' में AI के कारण नौकरियों के खतरे पर विस्तार से चर्चा की.

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तस्वीर: न्यूज तक.
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आने वाले समय में आपकी नौकरी खतरे में है? क्या AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आपके रोजगार पर कब्जा कर लेगा? कितने लोग  बेरोजगार होंगे? किसकी जॉब जाएगी किसकी बचेगी? ये सवाल अचानक क्यों उठने लगे हैं. प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोग नौकरी को लेकर घबराएं हुए क्यों हैं?

नौकरी में बरकत, सैलरी बढ़ने की उम्मीद, प्रमोशन के साथ अपने Personal Finance को परफेक्ट बनाते हुए भविष्य भी सुरक्षित करने का सपना देख रहे युवाओं के मन में ऐसे कई सवाल उमड़-घुमड़ रहे हैं. पर्सनल फाइनेंस की इस सीरीज में हम इंडिया टुडे ग्रुप के Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर के साप्ताहिक कार्यक्रम 'हिसाब-किताब' नए एपिसोड को ले रहे हैं.

इस एपिसोड में AI Vs Jobs को लेकर एनालिसिस किया गया है. मिलिंद खांडेकर ने इस एपिसोड में बताया कि कैसे AI से जुड़ी बड़ी कंपनियों और CEO के बयानों ने नौकरियों को लेकर डर का माहौल बना दिया है.

क्या उठे ऐसे सवाल? 

इस सप्ताह इसलिए ये सवाल उठने लगें हैं क्योंकि अमेजन कंपनी के सीईओ ने कहा है कि AI के चलते आने वाले वर्षों में कंपनी में कर्मचारियों की संख्या कम हो जाएगी. ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी BT ने कहा है कि वो 10,000 लोगों को नौकरी से निकाल देगा क्योंकि एआई ने उनका काम आसान बना दिया है.

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चैट जीटीपी की तरह ही एक और एआई एप क्लॉउड (claude) है, उसके भी सीईओ ने कहा है कि आने वाले वर्षों में 50 फीसदी नौकरियां गायब हो जाएंगी. उनका ये कहना है की सरकारें, कंपनियां एआई को लेकर झूठ बोल रही हैं कि कुछ नहीं होगा, लेकिन असलियत ये है कि आधे व्हाइट कॉलर जॉब्स खत्म हो जाएंगे.

AI क्या है?  

सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि एआई क्या है? जैसा कि आप जानते हैं एआई मतलब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस. ये एक तरह का कंप्यूटर प्रोग्राम है जो हमारी तरह पढ़ सकता है, लिख सकता है, बोल सकता है, सुन सकता है. इस कंप्यूटर प्रोग्राम को ट्रेनिंग दी गई है, इन सारी बातों को करने के लिए. 

आप इस तरह से समझ लीजिए कि इंटरनेट पर या दुनिया में जितना भी ज्ञान का भंडार है उसकी ट्रेनिंग चैट जीपीटी, क्लॉउड, Gemini जैसे एआई को दी गई है. उन्होंने एक तरह से रट लिया है और उसके आधार पर वो हमारे हर सवाल का जवाब दे सकते हैं. कभी कभी गलतियां भी करते हैं, लेकिन ज्यादातर उनके जवाब सही होते हैं.

ऐसे काम करता है AI 

AI ऐसे काम कर सकते हैं जिसमें कोई एक पैटर्न है. मान लीजिए की किसी ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट को पढ़ना, किसी एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करना, कॉपी, एडिटिंग करना या कंप्यूटर प्रोग्रामिंगके  लिए कोडिंग का काम करना. एआई इन कामों को सेकेंडों में कर देता है. यानी इंसान से कई गुना तेज. एक्युरेसी भी इनकी काफी ज्यादा है.  

जेपी मॉर्गन के इस उदाहरण से समझिए  

जेपी मॉर्गन एक इन्वेस्टमेंट बैंकर है. उसने पिछले दिनों एक उदाहरण देकर बताया था कि जब कोई कंपनी आईपीओ के लिए जाती है जब उसका प्रोस्पेक्टस तैयार किया जाता है. उसे बनाने में करीब एक सप्ताह का समय लगता था, लेकिन अब एआई की मदद से वो काम कुछ घंटों में हो जाता है. काम के लिए उतने लोगों की भी जरूरत भी नहीं पड़ती.

क्लॉउड चैट बोट बनाने वाली कंपनी है उसके सीईओ ने ये कहा है कि आने वाले वर्षों में पचास फीसदी व्हाइट कॉलर जॉब्स चली जाएंगी. 

ब्लू कॉलर जॉब्स जैसे कोई सामान बनाना, सामान की डिलिवरी करना, इलेक्ट्रिशियन का काम, प्लंबर का काम है ये काम तो फिर भी इंसानों को करना पड़ेगा. 

पहलू का दूसरा पक्ष भी  

उसका ये भी कहना है कि एआई वैसी ही बड़ी क्रांति है जैसे की दुनिया में जब बिजली आयी थी या जब मोटर वाहन चलना शुरू हो गए थे या कंप्यूटर आया. इंटरनेट आया तो एआई का आना भी उतनी ही बड़ी क्रांति है जितनी ये वाली क्रांति है. जब जब ऐसी क्रांति आई तब तब लोगों को लगा कि नौकरियां चली जाएंगी. रोजगार  कम हो जाएंगे.

कंप्यूटर से इसे समझिए 

सबसे ताजा उदाहरण लीजिए कंप्यूटर का. भारत में 1985-86 के दौरान बैंकों में कंप्यूटर लगने शुरू हुए थे तब यूनियनों ने विरोध किया था कि कंप्यूटर के आने से आदमी की जरूरत नहीं रह जाएगी. लेकिन आज देखिए कंप्यूटर भी है, आदमी भी है और नौकरियां भी हैं. 

नारायण मूर्ति जैसे लोगों का कहना है कि इससे एफिशिएंसी बढ़ेगी, आदमी का काम आसान होगा, लेकिन नौकरियों पर आंच नहीं आएगी. उनका ये भी कहना है कि ये प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए सहायक होगा. 

ये बात माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नाडेला भी कहते हैं कि एआई की भूमिका को पायलट की होगी. मतलब विमान पायलट चलाएगा लेकिन उसके साथ में को पायलट की तो ज़रूरत पड़ेगी. यानी एआई का इस्तेमाल कर काम करने वाले की भूमिका रहेगी. 

ATM के उदाहरण से भी समझिए 

मान लीजिए बैंकों में जब एटीएम की मशीन लग गई तो जो पैसे देने वाला जिसको टेलर कहते हैं उसकी नौकरी चली जानी चाहिए थी या बैंकों में नौकरियां कम होनी चाहिए थीं. बावजूद भी बैंकों में नौकरियां बढ़ी हैं. तो ये आशान्वित करने वाला पक्ष है. 

एनविडिया जिसके चिप्स से ही एआई चल रहा है, सबसे कीमती कंपनियों में से एक बन गयी है. एनविडिया के सीईओ का कहना ये है कि एआई आपकी नौकरी नहीं लेगा. अब सवाल ये है कि फिर नौकरियां जाने का डर क्यों बन रहा है?

नौकरी AI एक्सर्ट्स की वजह से जाएंगी? 

अगर आप एआई नहीं जानेंगे तो आपकी नौकरी चली जाएगी. ठीक वैसे ही जैसे कंप्यूटर के आने के बाद जिन्होंने नहीं सीखा या सीखने में देर कर दी या इंटरनेट आया उसको एडॉप्ट नहीं किया. ऐसे लोगों की नौकरी गई या ये कॅरियर में पीछे हो गए.  यानी आप AI को सीखेंगे... आना को-पायलट बनाएंगे तो अपने कॅरियर का विमान उड़ाते रहिए.  

मिलिंद खांडेकर की सलाह: AI सीखिए, वरना पिछड़ जाएंगे 

“जैसे इंटरनेट और कंप्यूटर को न अपनाने वाले लोग पिछड़ गए, वैसे ही AI न सीखने वाले लोग भी पिछड़ जाएंगे. अगर आप AI सीखते हैं, तो आप जॉब मार्केट में बने रहेंगे.”

निष्कर्ष 

AI एक क्रांति है. जैसे बिजली, कंप्यूटर और इंटरनेट थे. नौकरियां खत्म नहीं होंगी, लेकिन नौकरियों का स्वरूप जरूर बदलेगा. जरूरी है कि आप समय रहते खुद को अपडेट करें. 

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