बिहार में जमीन के दस्तावेज अब बस एक क्लिक पर, जुलाई 2025 तक 50 लाख रिकॉर्ड ऑनलाइन

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बिहार सरकार ने 1990-95 के 50 लाख भू-अभिलेखों को डिजिटल बनाने की शुरुआत की है, जिससे जमीन दस्तावेज अब एक क्लिक पर होंगे उपलब्ध.

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बिहार में जमीन से जुड़े दस्तावेजों को अब आप घर बैठे देख और डाउनलोड कर सकेंगे. राज्य सरकार ने पुराने भू-अभिलेखों को डिजिटल करने की एक बड़ी मुहिम शुरू की है, जिसके तहत जुलाई 2025 के अंत तक 50 लाख से अधिक दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध होंगे. यह कदम न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि भूमि विवादों को कम करने और भू-माफियाओं पर नकेल कसने में भी मदद करेगा. आइए, इस पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझते है.

पहले चरण में 1990-95 के 50 लाख दस्तावेज होंगे डिजिटल

मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने बताया कि पहले चरण में 1990 से 1995 के बीच के 50 लाख से ज्यादा दस्तावेजों को डिजिटलाइजड करने का काम तेजी से चल रहा है. इसके लिए अप्रैल 2025 से पांच एजेंसियां दिन-रात काम कर रही हैं. जुलाई के अंत तक ये दस्तावेज ऑनलाइन हो जाएंगे, जिससे नागरिकों को जमीन की जानकारी आसानी से मिल सकेगी.

तीन चरणों में 4.17 करोड़ दस्तावेज होंगे ऑनलाइन

विभाग ने कुल 4.17 करोड़ दस्तावेजों को डिजिटल करने का लक्ष्य रखा है, जो तीन चरणों में पूरा होगा:

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  • पहला चरण: 1990-95 के बीच के 50 लाख दस्तावेज (जुलाई 2025 तक).
  • दूसरा चरण: 1948-90 के बीच के 2.23 करोड़ दस्तावेज.
  • तीसरा चरण: 1908-47 के बीच के 1.44 करोड़ दस्तावेज.

इसके बाद, बिहार के पास 1796 से अब तक के ज्यादातर दस्तावेज डिजिटल रूप में उपलब्ध होंगे, जिनमें 99% से ज्यादा जमीन और जायदाद से जुड़े हैं.

पुराने दस्तावेजों को सहेजने की चुनौती

विभाग के पास 1796 से अब तक के कागजी दस्तावेज मौजूद हैं, लेकिन इन्हें संभालना और खोजना मुश्किल काम है. समय पर दस्तावेज न मिलने से भूमि विवाद बढ़ रहे हैं. डिजिटाइजेशन से न केवल ये रिकॉर्ड सुरक्षित रहेंगे, बल्कि इन्हें ढूंढना भी आसान हो जाएगा.

घर बैठे डाउनलोड करें दस्तावेज

आबकारी आयुक्त सह महानिरीक्षक निबंधन रजनीश कुमार सिंह ने कहा, “डिजिटाइजेशन से लोग घर बैठे जमीन के दस्तावेज देख और डाउनलोड कर सकेंगे. यह सुविधा खासकर वरिष्ठ नागरिकों के लिए वरदान होगी.” विभाग इस काम को युद्धस्तर पर पूरा कर रहा है.

कैसे होगा डिजिटाइजेशन?

दस्तावेजों को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया तीन चरणों में होती है:

  • स्कैनिंग: दस्तावेजों को डिजिटल फॉर्मेट में स्कैन किया जाता है.
  • अपलोड: स्कैन किए गए दस्तावेजों की जानकारी सिस्टम में डाली जाती है.
  • सार्वजनिक करना: दस्तावेजों को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाता है.

इससे न केवल समय और संसाधनों की बचत होगी, बल्कि रजिस्ट्री कार्यालयों में कामकाज आसान होगा. साथ ही, दस्तावेजों में छेड़छाड़ और भू-माफियाओं की गतिविधियों पर भी अंकुश लगेगा.

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