बिहार में डिजिटल खेती की नई लहर, तकनीक से किसानों का सशक्तिकरण

न्यूज तक

बिहार में कृषि ऐप, डिजिटल सर्वे और कॉल सेंटर के जरिए किसान हो रहे हैं सशक्त. जानिए कैसे तकनीक बदल रही है बिहार की खेती की तस्वीर.

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बिहार का किसान खेत में मोबाइल से डिजिटल खेती करता हुआ
प्रतीकात्मक तस्वीर
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बिहार की मिट्टी अब सिर्फ फसलों की नहीं, बल्कि डिजिटल क्रांति की भी कहानी लिख रही है. बीते 20 सालों में बिहार में कृषि क्षेत्र ने अभूतपूर्व तरक्की की है, और अब डिजिटल तकनीक के दम पर किसानों को सशक्त बनाने की मुहिम जोरों पर है. बिहार सरकार किसानों को आधुनिक खेती, सरकारी योजनाओं और मौसम की जानकारी डिजिटल माध्यमों से दे रही है, ताकि उनकी मेहनत का फल दोगुना हो. आइए, जानते हैं कैसे बिहार की खेती डिजिटल दुनिया से जुड़ रही है.

डिजिटल साथी: बिहार कृषि ऐप और रेडियो

बिहार सरकार ने किसानों को तकनीक से जोड़ने के लिए कई अनूठे कदम उठाए हैं. 

  • बिहार कृषि ऐप: यह ऐप किसानों का सच्चा डिजिटल दोस्त बन गया है.  इसके जरिए सरकारी योजनाओं, फसल प्रबंधन, बाजार मूल्य और तकनीकी सलाह जैसी सारी जानकारी एक क्लिक पर मिल रही है. किसान इस ऐप से योजनाओं में आवेदन कर सकते हैं और अनुदान की स्थिति भी तुरंत जान सकते हैं.
     
  • कृषि रेडियो: यह रेडियो किसानों को खेती की आधुनिक तकनीकों और सरकारी योजनाओं की जानकारी दे रहा है, जिससे दूर-दराज के किसान भी जागरूक हो रहे हैं.
     
  • किसान कॉल सेंटर: इस सेंटर के जरिए किसानों की समस्याओं का तुरंत समाधान किया जा रहा है, चाहे वह खेती की तकनीक हो या योजनाओं से जुड़ा सवाल.

डिजिटल क्रॉप सर्वे: खेती का डाटा अब ऑनलाइन

बिहार में डिजिटल क्रॉप सर्वे ने खेती की तस्वीर को और साफ कर दिया है. इस सर्वे से हर जिले में फसलों की खेती के क्षेत्र का सटीक डाटा मिल रहा है. 

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  • खरीफ 2025-26 की योजना: सरकार 2.18 करोड़ से ज्यादा प्लॉट्स का डिजिटल सर्वे करेगी. इससे बिहार के 38 जिलों के 32,707 गांवों में उगाई जाने वाली फसलों का पूरा डाटा डिजिटल रूप में उपलब्ध होगा. 
     
  • फायदा: यह डाटा किसानों और सरकार दोनों के लिए नीति बनाने और संसाधनों के बेहतर उपयोग में मदद करेगा.

बीते 20 सालों में कृषि की नई उड़ान

पिछले दो दशकों में बिहार की कृषि ने जबरदस्त प्रगति की है. डिजिटल तकनीक के साथ-साथ वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा देकर सरकार ने किसानों की आय और उत्पादकता बढ़ाने का काम किया है. चाहे वह आधुनिक बीज हों, उन्नत खेती के तरीके हों या सरकारी योजनाएं, बिहार का किसान अब पहले से कहीं ज्यादा सशक्त है.

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